________________
आगम (४२)
“दशवैकालिक”- मूलसूत्र-३ (नियुक्ति:+|भाष्य+चूर्णि:) अध्ययनं [१], उद्देशक [-], मूलं [-1 / गाथा: [१], नियुक्ति: [३८...९४/३८-९५], भाष्यं [१-४] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र - [४२], मूलसूत्र - [०३] "दशवैकालिक नियुक्ति: एवं जिनदासगणि-रचिता चूर्णि:
प्रत सूत्रांक
चणी
गाथा
||१||
श्रीदश- दाणिं इत्थं चेव जावए चितियं उदाहरण-एगो वाणियगो भज्ज गहिऊण पच्चंतं गओ, 'पारण खीणदबा धणियपरद्धा कया-मायावकाद्यावैकालिकालावराहा य । पच्चंत सेवते पुरिसा दुरहीयविज्जा य ॥ १॥ सा य महिला उम्भामिया, एगमि पुरिसे लग्गा, तं वाणियगं सा-IGI
हेतवः गारियं चिंतऊण भणइ-वञ्च वाणिज्जेण, तेण भणिया-किं घेत्तूण बच्चामि सा भणइ-उडुडियाओ घेत्तृण वच्च उज्जाणिं, अध्ययने ४ पच्छा सो सगडं भरेत्ता गओ उज्जेणि, नाए भणिो य-जहा एकेक्कियं दीणारेण देज्जासत्ति, सा चितइ-वरं खु चिरं खिप्पंतो
अच्छउ, तेण ताओ वीपीए उड्डियाओ, कोइ न पुच्छर, मूलदेवेण य दिवो पुग्छिओ य, सिट्ठ तेण, मूलदेवेण चितियं-जहा एस बराओ महिलाए छोमिओ, ताहे मूलदत्रण भण्णइ-अहमेताड ते विकिणामि जइ ममचि मुल्लम्स अद्धं देहि, तेण मणिय देमित्ति, अभुवगते पच्छा मूलदेवेण स हंसो जाएऊया तत्व बिलग्गिऊग आगामेणं उप्पडओ, नगरम्स मज्झे थाइऊण भणइ-जइ चेडरूवम्स गलए उच्चलिंडिया न बद्धा तं मारेमि, अहे देवो. पन्हा सव्वलोपण भीएण दीणारिकाओ उट्टलेंडियाओ गहियाओ विकियाओ य, ताहे तण मूलदेवस्ल अद्धं दिण्णे,मूलदेवण य सा भण्णइ-मंदभग्ग तब महिला धुत्ने लग्गा, ताए तव एवं कयं, न पत्तियइ, मूलदेवेण भण्णइ-एहि वच्चामो जा तए दरिममि जइन पत्तियास, तो गया. अण्णाए लेसाए वियाले ओवासो मम्गिओ, ताए। दियो, नत्थगंमि पएनि ठिया. सी धुचो आगओ, इयरीवि धुनेण सह पिवेउमारद्धा, इमं च गायइ-'इरि-मंदिर पत्तहारओ मह
गयड कंतो वणिजारो। वरिसाण सतं च जीवओ मा घर जीयंत कबाइ एयर ||१||, मूलदेवो भण्णइ-कयलीवणपत्नवेडिया, एई लाभणानि देव । ज महलएण गिज्जई मुह मुहुन मेत्र ।।१।। पच्छा मूलदेवेण भण्णइ-किट धुत्ते , तओ पभाए णिग्गंतॄण पुगरवि ।
आगी. नीय पुरभो ठिओ. सा महसा संभंना अभुट्ठिया, नओबाणपियणे बढ़ने सेण पाणिएण सव्वं नीए गीइपज्जतर्य
दीप अनुक्रम
4594-9-4-4Hit
[61]