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________________ आगम (४०) "आवश्यक'- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+चूर्णि:) अध्ययनं H, मूलं [१] / [गाथा-], नियुक्ति: [९८५-१०२४/९८५-१०१५], भाष्यं [१५१...] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता...........आगमसूत्र - [४०], मूलसूत्र - [१] "आवश्यक नियुक्ति: एवं जिनभद्रगणि-रचिता चूर्णि:-1 13 नमस्कार एगस्स सावगस्स पुत्तो धम्म न लएति, सो य सावओ कालगओ, सो विवाहितो, एवं चेव विहरति, अण्णदा तेसिं दार-18 व्याख्यायांसमीपे परिजन | समीपे परिवाओ आवासितो, सो तेण दारएण समं मित्तिगं करेति, अण्णदा सो परिवाओ तं दारगं भणति-जा णिरुवहताफले नमस्कार॥५८९॥ अणाधमतर्ग आणेह जा ते इस्सरं करेमि, तेण गविठ्ठ, लद्ध, उवबद्धओ मणुस्सो, आणितो, मसाणं णीओ, जं च तत्थ पाउग्ग, सोचित्रिदंब्यादि दारओ पिताए सिक्खावितो णमोक्कारं, जाहे बीभसि ताहे णमोक्कार करेन्जासित्ति, सो तस्स मतगस्स पुरतो ठवितो, मतगस्स य हत्थे असी दिण्णो, परिचाओ विज्ज परिवति, चेतालो उद्वैतुमारद्धो, सो दारओ भीओ णमोक्कार परियड्डेति, सो बेतालो पडिओ, पुणो जवेति, पुणोषि उद्विओ, सुठुतरागं परियडेति. तिदंडी पुच्छति- किंचि जाणसि , सो भणति-ण जाणामि, एवं Mसुचिरं वदृति , वाणमंतरेण रुद्वेण सो तिदंडी दोखंडो कतो, सुवण्णा खोडी जाता, अंगोवंगाणि से जुत्तगाणि, सब्बरति वृद, | ईसरो जाओ णमोक्कारफलेण, जदि णमोक्कारो ण होतो तो बेतालेण मारिजंतो, सोवण्णं जातं । एत्तो कामणिप्फत्तीए सादेष्वं, है कह , एगा साबिया, तीसे भत्थारो मिच्छादिडिओ अण्ण भज्ज आणेतु मग्गति, तीसेच्चएणं ण लभति ससवत्तगं, चिंतेति किह मारिज्जामित्ति , अण्णदा तेण कण्हसप्पो घडए छुभित्ता आणितो, संगोवितो, जिमिवो भणति-आणेह पुष्पाणि अमुगघडए ६ ठवियाणि, सा पविट्ठा, अंधकारंति णमोक्कारं करेति, जदि किंचिबि खाएज्जा तोवि मरंतीए णमोक्कारो ण णस्सिहिति, हत्थो ढो, सप्पो देवताए अवहितो, पुष्फमाला साहिया, ताए गहिया, दिण्णा य, सो संभंतो चिंतेति-अण्णाणि, कहियं, गतो पेच्छति ॥५८९॥ घडगं पुष्फगंध, णवि एत्थ कोई सप्पो, ताहे आउदो पादपडितो सव्यं कति खामेति य, पच्छा सा चेव घरसामिणी आता, द एवं कामावहो । *CRECAKAARAK (595)
SR No.006203
Book TitleAagam 40 Aavashyak Choorni 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2017
Total Pages624
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size47 MB
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