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________________ आगम (४०) "आवश्यक- मूलसू अध्ययनं H, मूलं [१] / [गाथा-], नियुक्ति: [९४०-९४२/९४०-९४३], भाष्यं [१५१...] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता...........आगमसूत्र - [४०], मूलसूत्र - [१] "आवश्यक नियुक्ति: एवं जिनभद्रगणि-रचिता चूर्णि:-1 प्रता लताए दिणं, अज्णेवि भिक्खू एतगा तो एगाए मंजूसाए चेव कज्जिहिति णिग्गता। औत्पाति व्याख्याया। चेहगणिधाणे, दो मित्ताणि, तेहि णिधाणगं दिई, कल्ले सुनक्षत्ते लेहामोत्ति, एगण रसिं उक्खणिऊण इंगाला छूढा, विति-IPI ॥५५१॥ यदिवसे गता, इंगालं पेच्छति, सो धुत्तो भणति- अहो अम्हं मंदपुण्णया, इंगाला जाता, तेग णात, हिययं न दरिसेति, तस्सी बुद्धिः पडिमं करेति, दो मक्कडए गेहति, तस्स उपरि भन देति, ते छुहाइया तं पडिमं चदंति,, अण्णदा भोयणग सज्जितं, दार गा तस्सच्चया आणिता, संगोविता, ण देति, भणति-- मक्कडगा जाता, आगतो, तत्थ लेप्पगढाणे आवेसावितो, मक्कडगा 2 मुक्का, किलकिलंता तस्स उवरि विलग्गा, णात, दिण्णो भागो।। ___ सिक्खा,अस्थि धणुब्बेओ एगो राजपुत्तो, जथा सेणिओ तथा हिंडंतो एगस्थ उ ईसरपुत्तए सिक्खवेति,दबं विढतं, तेसि पिती, मिसगा चिंतति-बहुतं दव्वं एतस्स दिण्णं, जदया जाहिति ततिया मारिज्जिहिति, तेण णातं, संचारितं णातगाणं-जहाह राति छाणपिंडए गदीए छुभीहामि ते लएज्जह, तेण लोलगा वालिता, एसा अम्द विधित्ति तिहिपव्वणीसु दारएहि सम णदीहै य छुभति, एवं णिचाहेतूण गट्ठो। ___ अत्धसत्थे एगेण पुत्तेण दो सवित्तीओ, ववहारो ण छिज्जइ, इतो य देवी गुब्बिणी उज्जाणियं गता, ताओ उवाहिताओ, 3सा भणति- मम पुत्तो जो होहिति सो अत्थसत्थं सिक्खिहिति, एतस्स असोगस्स हेट्ठा णिविट्ठो क्वहारं छिदिहिति ताव दोवि | अविसेसेणं खाह पिवहाति, जीसे ण पुचो सा चिंतेति- एचितो ताव कालो लद्धोति पडिसुतं, णाता, ण एसी । । दीप अनुक्रम (557)
SR No.006203
Book TitleAagam 40 Aavashyak Choorni 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2017
Total Pages624
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size47 MB
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