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आये है उन लोगों से अपने गुरु श्री गणेशीलाल जी ने स्थानकवासी सघ को एकत्रित करके मूर्ति पूजा को अशास्त्रीयता पर सर्वसाधारण में व्याख्यान कर वातारण को दूषित कर दिया है । अब चाहे जो करके महरबानी करो। आप तत्काल पधारो। शासन की विजय पताका फहरामो आदि भावार्थ वाली बातें कही।
पूज्य श्री ने परिस्थिति का अनुमान निकाल कर इन्दौर श्री संघ के अग्रगण्य श्रावकों को बुलाकर सारी बातें कर चैत्री पूणिमा के बाद विहार की बात निश्चित की । रतलाम श्री सघ को चैत्री अोली के पश्चात तुरन्त रतलाम तरफ विहार करने का आश्वासन दिया। इन्दौर के श्री संघ ने चातुर्मास के लिए खूब आग्रह किया परन्तु पूज्य श्री ने कहा कि शासन पर जो आक्रमण आवे उस सम्बन्ध में विचारण कराना आवश्यक है । अतः वैशाख महिने तो रतलाम पहुंचूगा ही फिर चातुर्मास के लिए शक्यता कम लगती । फिर भी ध्यान रहेगा। पूज्य श्री ने इन्दौर से विहार के समय मक्षीजी में बड़नगर संघ को कही बात के प्रमाण के अनुसार
दो-चार दिन स्थिरता का कार्यक्रम संयोजित करके बड़नगर ' की दिशा में विहार किया।
बड़नगर में रतलाम शहर के सनातनी सन्यासी महात्मा के साथ पूज्य श्री का पटित प्रसंग से प्रभावित जैनेतर