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अरिहंत-परमात्मा की अपूर्व भक्ति उल्लास वाला स्नात्र महोत्सव तथा पौष दशमी की आराधना की विधि सामूहिक रूप से हुई।
तीनों दिनों पूण्यवानों ने कल्याणक निमित 20 माला का जाप भी किया। 50 से 60 पूण्यात्माओं ने साकरका पानी, खीर तथा चालू एकासना तीनों दिनों ठाम चौविहार के साथ कल्याणक का जाप पूर्वक मगल आराधना की । विद 10 के दिन आस-पास के गांवों में से मेले की तरह हजारों मनुष्य एकत्रित हुए प्रभु जी की रथयात्रा बहुत ही ठाठ से निकलो । विद 10 तथा 11 दोनों दिन साधार्मिक वात्सल्य भी श्री संघ की तरफ से हुआ । विद 12 के दिन जेठाभाई झवेर चंद गोखरू को तरफ से तपस्त्रियों का पारणा हुआ, कंकू के तिलक करके श्री फल-रुपयों से तपस्वियों का खूब मान भी हुमा । तीर्थ यात्रा के प्रसंग में मेले में आये इन्दौर, उज्जैन, आगर बडनगर आदि श्री संघों ने पूज्य श्री को अपने क्षेत्र को लाभ देने की विनती की । पूज्य श्री ने योग्य लाभ की आशा में उज्जैन होकर इन्दौर तरफ विचरण करने की भावना प्रदर्शित की।
पूज्य श्री ने विद 13 को उज्जैन की तरफ प्रस्थान किया। बीच के एक गांव में स्थानकवासी साधु जहाँ ठहरे थे वहीं ठहरना पड़ा। वहां उन स्थानकवासी मुनियों के
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