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होगा यह घोषणा की । प्रतिदिन अमुक विषयों के उपस्थान को पूज्य श्री इस अजीब छटा से करते कि समय पूरा हो जाता पर विषय पूरा नहीं होता । अतः लोग फिर मांग रखें और फिर व्याख्यान प्रारम्भ रहे ।
___यों करते करते आठ दिन निकल गये । सन्यासी महात्मा के प्रवचन का समय प्रातः का इसलिए वहां तो सभा बिखर जाते, सब लोग पूज्य श्री के व्याख्यान में पड़ापड़ी कर जगह नहीं मिले तो सकड़ाई में भी मजे में बैठते । समग्ररूपेण लोगों में जैन धर्म के गुणगान होने लगे । सन्यासी महात्मा ने अपने प्रवचन में इस सम्बन्ध में अनेक विरूद्ध बोलने वाले निकले परन्तु धर्म प्रेमी जनता ता उनको अवश्रद्धालु मानकर गुणनुरागी पूज्य श्री को धर्म देशना खूब उत्कंठा से सुनने लगे । रतलाम का जैन श्री संघ भी पूज्य श्री अगाध विद्वता की ऐसो कुशलता देखकर दंग रह गई । पूज्य श्री ने भी सन्यासी महात्मा को सीवी रीति से समझाने या शास्त्रार्थ करने के प्रयास में निष्फलता मिली इसमें किसी गूढ़ संकेत को धारण कर जनता को जो सरल तरीके से जैन धर्म की विशिष्टताओं जानने को मिली तथा परिणाम स्वरुप शासन का जयजयकार हुआ, इसमें शासनदेव की वरद प्रेरणा समझ आत्म संतोष का अनुभव किया। इस प्रकार वि. सं. 1930 का चातुर्मास अन्य भी अनेक शासन प्रभावना के