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वैसा करने को श्री संघ तैयार है । - पूज्य श्री ने कहा कि "अाखिर आप लोग गृहस्थी है। संसार की मोह माया छूटी नहीं अतः हमारी तरह आप धर्म और शासन को प्राथमिकता नहीं दे सकते । खैर! जैसी प्राप लोगों की अनुकूलता । आप भी व्यवहार कुशल है। साथ ही धर्म-शासन की निष्ठा-भक्ति आपके दिल में भी है । आप लोग भले ही एक बार क्या जब तक आपको कोई ऐसा मध्यम मार्ग मिल जाय अपने को नाहक बखेडा थोड़ा करना है । जाइये खुशी से । आप जो भी व्यवहारू तरोका प्राजमाना चाहे उसे शीघ्र अमल में लाइये । बिना वजह हो रही अपभ्राजना को रोकने में ढील करना ठीक नहीं । बस।'
श्री संघ के मुखियाओं ने पूज्य श्री के पास ज्ञान पूजा करके वासक्षेप डलवाकर शासन पर पा रहे आक्रमण · को टालने में समर्थता मिले ऐसे आशय से मंगल आर्शीवाद प्राप्त किया। श्री संघ के अगुवानों ने सन्यासी को उग्रस्वभाव एव जिद्दी मानकर उन्हें समझाने में कोई अर्थ नही यो धारणा कर एक स्थान पर गांव के अग्रगण्य श्रीमंत, व्यवहार चतुर सनातनी के अगुवाओं को जरूरी आमंत्रण भेजा। योग्य सत्कार करने पर जैन अगुवाओं ने अथ से इति तक समस्त बात कर दी । पूज्य सन्यासी महात्मा हमारे माननीय है, वे धर्म गुरू हैं, परन्तु स्वयं की मर्यादा में रह कर योग्य
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