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________________ माघ सु. 10 के दोपहर वर्षीदान का भव्य वरघोड़ा निकला जिसमें अनेक प्रकार की सामग्री हाथी, घोड़ा, छड़ीदार, चौघड़िया विविध देशी बाजे, चाँदी का भव्य रथ जिसमें वीतराग प्रभु की सुन्दर प्रशमरस भरती प्रतिमा श्री प्रभु जी की पालकी प्रभु भक्ति के लिए संगीतकारों की मण्डली उसके उपरान्त चार घोड़ों की सजाई गई बघ्घी में छुटे हाथ से वर्षीदान देते दक्षार्थी थे । ऐसा भव्य वरघोड़ा अहमदाबादी धार्मिक प्रणाली में अनेकों वर्षों के बाद पहली बार देखा । नगरसेठ के घर से यह वर्षीदान का वरघोड़ा निकल कर पूरे शहर में फिर कर भवेरीवाड़ श्री संभवनाथ - प्रभु के जिनालय में उतरा तथा दीक्षार्थी भवेरचन्द भाई पू. गुरुदेव के पास रात्रिवास में रहे । आने वाले कल पू. गुरुदेव श्री के चरणों में ग्रात्म समर्पण स्वरूप महाभागीरथ भागवती दीक्षा लेने के पूर्व में भूमिका के रूप गुरदेव के चरणों में मानसिक पूर्व तैयारी हेतु भोग-विलास के मोहक वातावरण में से विमुख होकर प्रतिक्रमण आदि करके सथारे सो गये । मौन एकादशी के मंगल प्रभात में राई प्रतिक्रमण कर पू. गुरुदेव श्री के चरणों में आत्मनिवेदन युक्त दीक्षा ग्रहण के लिए पूर्व तैयारी रूप जयरणापूर्वक स्नान करके श्री १२
SR No.006199
Book TitleSagar Ke Javaharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaysagar
PublisherJain Shwetambar Murtipujak Sangh
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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