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वासक्षप द्वारा दिया। झवेर चन्द भाई ने विद 14 को अधोरात्रि-पौषध पू. गुरुदेव श्री के पास किया।
पौषध के बीच में दोपहर पू गुरुदेव से श्री झवेर चन्द ने खुद को जल्दी से जल्दो भागवती दीक्षा का प्रदान करने का प्रार्थना की पर पू.महाराज श्री ने कहा कि-"भाई प्रत्येक कार्य पद्धतिपूर्वक करने से पीछे से पछताना न पड़े, द्रव्य, क्षेत्र, काल, भावना का भी कार्य सिद्धि प्रबल निमित्त रूप में महत्व है"
यहां के नगर सेठ अपनी सागर परम्परा के श्रद्धावान भक्त है उनके कान में डाले बिना ऐसा महत्वपूर्ण कार्य कैसे हो?
अब तू निश्चिन्त रह ! का. वि. 10 से तुझझे सोलहवाँ लगा है अब नियमानुसार तेरे पर तेरे कुटुम्बीजन कुछ भी कर सके ऐसा नहीं है । अन्य कुटुम्बो शायद पाकर झगड़ा करें या मोहमाया का प्रदर्शन करें तो उस हालत में टिक ना तेरे आत्मबल पर निर्भर है । यदि मोह के संस्कारों का तू बराबर जीत न सका हो तो संयम लेक र अन्ततः मोह के स्वार्थ जंजाल में फस जाय ।
इसलिए शायद कुटुम्बी पाबें तब भी धबराना नहीं । अभी विद पक्ष चल रहा है । सू.2 के मंगल दिन मुहूर्त देखकर