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दिव्यरुप में प्रकट करता है। ऐसे कितनेक गुरणों से युक्त महत्व के गुरण ये हैं - १. विशालता २. अद्भुत क्षमा ३. स्वदोष दृष्टि ४. सहनशीलता ५. परार्थवृति ६. उदात्त करुणा ७. दोषियों पर अधिक करुणा ८. अन्तरदृष्टि का विकास ६. जीव मात्र के कल्याण की तीव अभिलाषा ।
अजोड़वादी विजेता श्री डॉवेरसागर जी म.सा.
शासन नायक श्री महावीर-भगवान् के अविछिन्न प्रणाली के रूप में शुद्ध समाचारो को जीवित रखने वाले श्री तपागच्छ की महत्त्व की, विजय, सागर, विमल तथा चन्द्र शाखाओं में शासनोद्योत तथा आगमिक - परम्पराओं को अधिक सजीव रखने वाले विशिष्ठ महापुरुषों से सागर शाखा पिछले 400 वर्षों में खूद समृद्ध रोति से पुष्पित पल्लवित अनेक मनिषियों के हृदय को आकर्षित करने वाली बनी है ।
___ उस सागर शाखा में बारहवी पाट शासन-प्रभावक अजोड़ क्रिया पात्र के रूप में पू. मुनि श्री मयासागर जी म. उन्नीसवी सदी के उत्तरार्द्ध भाग में तेजस्वी तारक सभा-जिन