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________________ क्रोध पूरित विचारों को प्रकट किया- तीर्थ रक्षा के लिए मर- करने की तैयारी दिखायो । इस अवधि में अहमदाबाद से प्रा. क. की पेढ़ी तरफ से इसी प्रकार पालीताणा से भी समाचार मिले कि "सेठ प्रा. क. की पेढ़ी से नगर सेठ हेमा भाई आदि अग्रगण्य सेठियाओं के हस्ताक्षर से पालीताणा स्टेट के साथ बहुत बातें करने पर भी नहीं मिलने से उस समय के ऊपर के सत्ताधीश के रूप में काठियावाड़ के पोलिटिकल एजेन्ट होने पर भी शायद ऊपर की पैरवी के प्रभाव में पूरा सहयोग न दें इससे सोघा बम्बई गवर्नर के पास अपील की है । उसका योग्य निर्णय अवश्य ही अल्प समय में आवेगा । अभी तत्काल पालीताणा स्टेट ने यात्री कर बंद रखा है ।" 1 इस समाचार के मिलने से श्री संघ में तनिक शान्ति हुई । परन्तु श्री संघ को जागृत रहने की आवश्यकता पर पूज्य श्री ने खूब भार रखा । पूज्य श्री सेठ प्रा. क. की पेढ़ी के साथ पत्र व्यवहार से सम्पर्क बराबर बनाये रखा । पालीताणा स्टेट के सामने पड़ी बाधा के सम्बन्ध में बम्बई गवर्नर के पास की गई अपील की कार्यवाही से पूर्ण रूपेण सूचित होते रहे। इतने में का. सु. 7 लगभग भीलवाड़ा सेठ किसनजी मुणोत भीलवाड़ा जैन श्री संघ के प्रागेवानों को साथ लेकर पूज्य श्री पास आये । १९२
SR No.006199
Book TitleSagar Ke Javaharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaysagar
PublisherJain Shwetambar Murtipujak Sangh
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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