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पूज्य श्री की वंदना करके नम्र भाव से किसन जी सेठ ने भीलवाड़ा से केशरियाजी तीर्थ की छरी पालना संघ निकालने की भावना पूर्ण करने हेतु पूज्य श्री को भीलवाड़ा पधारने की विनती की । पूज्य श्री ने बतलाया कि कार्तिक पूर्णिमा के पश्चात श्री संघ तरफ से उदयपुर के छत्तीस तथा आसपास के नजदीक के दस जिन चैत्यों की चैत्य परिपाटी का कार्यक्रम है। इससे चातुर्मास के बाद करीब डेढ़ मास तक स्थिरता होगी। उस समय योग्य विचारेंगे। तुम लोग पुनः माघ सु. 15 लगभग मिलना तो ठीक रहेगा।" ऐसा आश्वासन दिया।
भीलवाड़ा संघ ने भी पूज्य श्री को भीलवाड़ा चरण घर कर धर्म भावना शासनोद्योत करने की विनती की। पूज्य श्री ने “क्षेत्र स्पर्शना" तथा "वर्तमान योग' कह कर साधु मर्यादा का दर्शन कराया । "उदयपुर के श्री संघ में पर्वाधिराज पर्युषण-पर्वं के कर्तव्यरूप चैत्य परिपाटी को व्यवस्थित रीति से आचरण में रखने हेतु विचार किया
उन देहरासरों की अाशातना का निवारण हो, सर्वजन स्वद्रव्य से स्वयं देहरासर की समग्र जिन प्रतिमाओं की पूजा भक्ति का लाभ लें। स्नात्र पूजा ठाठ से पढ़े। दोपहर “जिन भक्ति की अपूर्व महिमा" विषय पर पूज्य श्री का शास्त्रीय शैली का व्याख्यान प्रभाबना आदि से शासन-प्रभावना
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