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ग्रतः शीघ्रातिशीघ्र विहार करना ।
तुम प्रायो इतनी ही देर है सो जानना मिति 1941 चैत्र विद / वार बुध लि. ग्रापका सेवक हीर जी
ऊपर लिखा है कि अहमदाबाद प्राना फिर विचारूंगा । X X परन्तु + + के लिए तुम्हारे जब विहार करने का++ सो हमें लिखना + + तुमको छागो जाना है । हम भो तुम्हारे विहार के बाद निकलने का करते हैं सो जानना बाद में बड़ोदा साथ साथ जावेगे । ऊपर के पत्र खूब महत्व की बातें प्रतीत होती है । पत्र के ऊपर सब पत्रों की तरह पू. गच्छाधिपति का नाम नहीं है । परन्तु पत्र की विषयवस्तु से पू. गच्छाधिपति का पत्र हो ऐसा प्रतीत होता है ।
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इस पत्र का सार इस प्रकार समझा जा सकता है* पत्र में प्रथम तो कोई दीक्षार्थी भाई के लिये पूज्य श्री जो प्रयत्न कर रहे हैं उस विषय में सावधानीपूर्वक कार्य करने का निर्देश है । समुदाय बढ़ाने की जिज्ञासा उत्तम है, परन्तु शासन धर्म को नुक्सान न पहुँचे उस दिशा में पू गच्छाधिपति का अंगुलीनिर्देश है । उस समय कपड़वंज का देशी साबुन उद्योग सम्पूर्ण भारत में प्रसिद्ध होना चाहिये । जिससे विशाल समुदाय की आवश्यकता, अभक्ष्यपदार्थ रहित गृह उद्योग रूप में हाथ से बनाया गया, निर्दोष रीति से गृहस्थों के घर से चाहे जितना मिलता रहे इस अपेक्षा से एक मन जितना
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