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होने से यथाशक्य रूपेण दीक्षा देकर उद्धार के साथ साथ समुदाय बल बढ़ाने की तरफ भी पूज्य श्री लक्ष्ययुक्त हुए । यद्यपि छद्मस्थता के कारण उलझनें भी जबरदस्त खड़ी हो जाती थी जिसका निर्देश अधोलिखित पत्र से मिलता है :
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14 का पत्र
विद 13 का आपका पत्र कल पढ़ा तथा विद आज पहुंचा । समाचार जाने हैं । अन्य काल लोक
जम्बूद्धीप
का पत्र पहुचा लिख तथा विद 1 परन्तु वह अभी तक हमे नहीं मिला है ।
का पत्र जो लिखा था
विद 14 का पत्र तुमने साध्वी ऊपर प्रथम लिखा तुम्हें दिया है सो वापस मंगाया नहीं तो वे कौन से उपासरे हैं उनका हमारे साथ परिचय नहीं है । वे डेहला के राणा है इसलिए हमसे पत्र वापिस कैसे मांगा जा सके ? वे डोशीवाड़ा की पोल में सीमधर स्वामी जी के डेरा के पास सूरज बाई के सामने उपासरा में रहते हैं । सो जानना तुम पुष्ट विचार करके बात करना क्योंकि XX है, उसकी पत्नी जीवित है अतः पोछे से निकाले इसलिए हमें विचार करके, व्यक्ति देखकर बात करनी । XX साबुन एक मन भेजना X x क्षेत्र लोक पूरा होने में अभी देर है सो जाना ।
अन्य तुम्हें X X लाभ का कारण न दीखे तो तुम यहां आना । तुम आ सकते हो या नहीं इस पर विचार करूँगा Xx गरमी बहुत पड़ रही है XX हमे बड़ोदा X X काम है
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