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समग्ररूपेण पूज्य श्री कपड़वंज श्री संघ के प्रभुशासन को सफल आराधना के मार्ग पर प्रोत्साहित करके पू. चरित्रनायक के पिताश्री के मानसिक स्वास्थ्य को जब व्यवस्थित किया। पू. चरित्रनायक जब बाल आयु में केवल दो वर्ष के थे, उनके हृदय में प्रभुशासन संयम तथा धर्म क्रियाओं की अविस्मरणीय छाप को उभारा।
फाल्गुन वि, द्वितीया के दिन पूज्य श्री ने बालासिनोर तरफ विहार कर लसुन्द्रा में दो दिन स्थिरता करके फा. वि. पंचमी प्रातः बालासिनोर पधारे । उस समय संवेगी साधुओं की असंख्य संख्या होकर बालासिनोर क्षेत्र में धार्मिक वातावरण पूरा धुंधला हो गया था। एक सप्ताह स्थिरता करके व्याख्यान द्वारा लोगों को धर्म शासन को भूमिका को पहचान कराकर आराधना हेतु प्रोत्साहित किया।
परिणाम स्वरूप केशव लाल दलछाराम भाई को चैत्री ओली करने की भावना जागी । पूज्य श्री को प्राग्रहपूर्वक रोक कर सामुदायिक चैत्री अोली विधिपूर्वक करवाने का निश्चित किया। पूज्य श्री ने भी विशिष्ट लाभ देखकर स्थिरता की । चैत्र सुद पंचमी से श्रीपाल चरित्र की मार्मिक विवेचना प्रारंभ की। पाराधकों को प्रोत्साहित किया। विधि सहित नवपद जी की अोली में 70 से 80 भाविक संयुक्त हए । आंबिल तो लगभग 125 प्रतिदिन होने लगे।