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________________ सेठ जी को धर्मलाभ कहा है । इन्हें वंदना लिखवाई है । सं. 1941 के माघ वि. 13 वार रवि । कहा हुआ काम सरलता से कैसे बने ? उसे रीति पूर्वक सिद्ध करने में ध्यान रखना X X परन्तु धीमी राह डालना । इतने में समझना,, इस पत्र के पृष्ठ भाग पर ता. क. जो लिखा है उसमें जिस काम का निर्देश है, वह कोई महत्व का मालूम होता है जिसके लिए पू. गच्छाधिपति श्री ने यह व्यवस्थित भलामण की है । इस सम्बन्ध में भी पूज्य श्री ने कपड़वंज अधिक स्थिरता की हो यों लगता है । माघ वि. चतुर्दशी के व्याख्यान में बालासोनोवाला शेठ उत्तमचन्द जगजीवन आदि प्रमुख व्यक्तियों ने क्षेत्र स्पर्शना करने की विनती की । अतः पूज्य श्री की कपड़वंज में स्थिरता मासकल्प की हो गयी । अतः क्षेत्रान्तर करने की भावना दर्शायी, परन्तु कपड़वंज श्री संघ में फाल्गुन चातुर्मास नजदीक होने से उसकी आराधना कराने की खूब विनती की। मगन भाई भगत की उलझन भी अभी तक सुलभी नहीं थी अतः बालासिनोर वाला को फाल्गुनचतुर्दशी के बाद आने की भावना दर्शाकर कपड़वज में फाल्गुन चातुर्मास सम्बन्धी स्थिरता की । इस बीच में श्री संघ की महत्वपूर्ण व्यवस्था तत्र सम्बन्धित उलझने सुलभी, मगन भाई भगत को भी संयम सम्बन्धी भावना के मार्ग में अधिक प्रकाश उपलब्ध हुआ । १६६
SR No.006199
Book TitleSagar Ke Javaharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaysagar
PublisherJain Shwetambar Murtipujak Sangh
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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