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परिचय कराया । आनन्दपूर्वक शान्ति स्नात्र के साथ महोत्सव पूरा होने के बाद पूज्य श्री विहार का विचार करते थे परन्तु मगन भाई भगत ने माघ सु. 14 की पौषध में रात्रि में पूज्य श्री के सम्मुख अपने हृदय की अन्तर्व्यथा व्यक्त की । अश्रुपात द्धारा हार्दिक वेदना को उडेला, भीषण सांसारिक दावानल से बचाने आजीजी की । अतः पूज्य श्रीं मगन भाई के संयम ग्रहण के मार्ग में आने वाले अवरोधों की गुत्थी को सुलझाने योग्य मार्गदर्शन जरूरी समझकर श्री पंचाशक ग्रन्थ की विवेचना व्याख्यान में प्रारंभ की । और भी श्री गच्छाधिपति श्री ने भी कपड़वंज के श्री संघ के महत्व के काम की सूचना पत्र द्धारा दो हो ऐसा मालूम होता है । उस समस्या के हल के लिए भी स्थिरता करना उचित लगा। वह पत्र निम्नानुसार है :____ श्री अहमदाबाद से लि. मुनि मूलचन्द जी की सुखशाता वाचे, श्री कपड़वंज मुनि श्री झवेर सागर-तुम्हार पत्र एक माघ सु. 12 का लिखा आया उसे पढ़ा है समाचार जानेxx रू. 500/-XX ज्ञान मेंxx वापरने में कोई हरकत दीखती नहीं है । देव विजय जी के लिये प्रत भ्रमण के लिए चाहिये तो मंगाना । गुण विजय जी की वंदना पढ़ना तथा चारित्रय विजय जी की वंदना पढ़ना।
भावनशर से आया पत्र साथ बन्द किया है उसका उत्तर भाव नगरxxलिखना।