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________________ कर गया । आंखों में आर्द्रता झलक गई, “विरति धर्म की भूमिका को स्वयं ऐसे गुरुदेव के मार्ग दर्शन में कब शिरोधार्य करूंगा?" यह मंगल भावना प्रबल हुई? व्याख्यानोपरान्त पूज्य श्री से मिले, सम्पूर्ण बात हुई । पूज्य श्री ने कहा कि "भाई ! कार्तिक पूर्णिमा पूर्ण विहात किस प्रकार किया जा सकता है ? कार्तिक 15 बाद की योजना अभी से करनी उचिर नहीं'' “आड़ी रात उसकी क्या बात" कहावत के प्रमाण से साधू लोग मोटे रूप में भविष्य की कोई योजना घड़ने के कष्टप्रद ध्यान में नहीं पड़ते इत्यादि । ‘साहब ! बात सत्य है । आपका प्राचार हम तोड़ना नहीं चाहते । हम तो कार्तिकपूर्णिमा के पश्चात आपको अन्य क्षेत्र की विनती या अन्य कोई कारण आ जाय तो हमारो बात को प्राथमिकता मिले इतना सूचन कराने के लिए आये हैं। ___ अधिक में श्री कपड़वंज श्री संघ के अग्रगण्यों ने कहा कि “ साहेब ! कपड़वंज क्षेत्र में आपने धर्म के जो बीज बोये हैं वे अब सिंचन के अभाव में कुम्हलाने लगे हैं, अतः कृपया उस तरफ का पूर्णिमा के बाद पधारने का विचारियेगा।' "अनुकूल होने पर का. पूर्णिमा लगभग फिर से विनती करने के लिए आवेगें, परन्पु आपका ध्यान हमारे श्री संघ की तरफ फिराने के लिए आज आयें हैं।" मगन भाई भगत ने विनती की कि- “मुझ जैसे को संसार के कीचड़ में से आप सिवाय १६२
SR No.006199
Book TitleSagar Ke Javaharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaysagar
PublisherJain Shwetambar Murtipujak Sangh
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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