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व्यवस्था श्रोर जैन मुनियों कृ त उपगार का वृतान्त'
पुस्तका का भी बहुत सहकार मिला है। इसके अतिरिक्त सागर - शाखा की पट्टपरम्परा, तपागच्छपट्टावली आदि ग्रंथों का भी प्रामाणिक सहारा मिला है । इस प्रलेखना को अधिक सफल बनाने में अनेक धर्मप्रेम पुण्यात्मानों का सहयोग मिला है । जिसमें मुख्य रूप से प्रेस कापी वगैरह बनाने में मुनि श्री निरूपम सागर जी म. मुनि श्री हेमचन्द्र सागर जी म., मुनि श्री पुण्य शेहर सागर जी म. आदि के उद्यात धर्म-प्रेम से मन भरे सहकार की गुणानुराग भरी अनुमोदन करता हूं ।
मुझे तो इस जीवन चरित्र के कार्य में शुरु से अंत तक पंचपरमेष्ठियों की करूणा और दिव्यशक्ति का अच्छा और स्पष्ट अनुभव हुआ है इसके अतिरिक्त बारीक से बारीक जानकारी स्थल, समय की कीमत की जानकारी किस तरह प्राप्त कर सकूं । जिससे मैं नमस्कार महामंत्र का प्रत्यधिक ऋरणी हुं इस तरह सफलता सबके सामने है ।
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