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इसके अतिरिक्त मेरे तारक माराध्यापाद गुरुदेव श्री पू. उपाध्याय भगवंत श्री की अदृश्य कृपा का आभारी हूं।
अंत में परमकृपालु परमतारक श्री जिनशासन गगन के तेजस्वी तारक समान पू. श्री झवेरसागर जी म. श्री के अद्भुत लोकोतर व्यक्तित्व के परिरणाम स्वरुप यथाशक्ति खोज तथा स्वयं के परिश्रम पुरुषार्थ के मापदण्ड से प्रमाणित सूची के आधार पर लिखे हुए इस जीवन चरित्र में स्मृतिदोष दृष्टिदोष, छन्नस्थलता यदि कोई रही हो तो चतुविद श्री संघ के समक्ष हार्दिक मिथ्यादष्कृत देने के साथ चतुर्विध श्री संघ में ऐसे महापुरुषों के जीवन से प्रकट होने वाली अपूर्व दिव्यप्रेरणा का बल व्यापक बने इसी शुभ अभिलाषा के साथ विरमित हूं। जैन उपाश्रय
निवेदक पानसर तीर्थ
पूज्य उपाध्याय वीर नि. सं. २५०६ श्री धर्म सागर जी म. का वि. सं. २०३६
चरणोपासक माघ सु. १२ सोमवार
अभयसागर