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________________ साध्वी जी श्री म. का परिचय ठीक ढंग से करके जीवन को उनके चरणों में न्यौछावर करना जरूरी है, ठीक तैयारी की है न ? "आदि सुगनबाई ने अपनी भावना को व्यक्त करने के प्रसंग में पिछले डेढ़ दो वर्ष से जीवन को प्रभुशासन की मर्यादा के अनुरूप बनाने का इक्य प्रयत्न किया था । कुटिम्बियों के द्धारा की गई कठोर कसोटी में से निकल कर वैराग्य की भूमिका को दृढ़ता से प्राप्त किया था। पू. साध्वो जी म. का परिचय व्यवस्थित रुप में प्राप्त किया हैं, आदि स्पष्ट जतलाकर पूज्य श्री को संतुष्ट किया। पूज्य श्री ने मगशिर सुद द्धितीय को प्रांबील कर श्री महावीर प्रभु के सामने सात बांधी माला श्री नवकार की त्रिकाल गिनने को कहकर वासक्षेप की पुड़िया दी। सांझ को पौषध लेकर संथारा पोरसी पढ़ाकर सोते समय पुड़िया के सामने नवकार महामंत्र की एक बांधी माला गिनकर "णमो सिद्वाणं सव्वपावण्याणासरणो" की ग्यारह माला तथा "णमो बंभचेरस्स " की तीन माला, "णमो एजमस्स " की तीन माला गिनकर व पुड़िया पूरी तकिये के पास रखकर बायें करवट सो जावे । नींद पूरो हो कि तुरन्त बैठकर सात नवकार गिनकर नासिका के कौन से नसापुट में से श्वास चलता है , इसे जानकर प्रातः पुजा करके 8.37 से 9.23 बजे के समय दीक्षा मुहूर्त के लिए आने को कहा !
SR No.006199
Book TitleSagar Ke Javaharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaysagar
PublisherJain Shwetambar Murtipujak Sangh
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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