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द्धार पूज्य श्री की प्रेरणा से हुआ । और भी आश्विन मास में चौगान के देहरासर में पूज्य श्री की प्रेरणा से श्री नवपद जी महाराज की अोली की आराधना सामूहिक रुप से धूमधाम से हुई।
आराधकों के भावोल्लास पूज्य श्री के तात्विक देशना से बढ़ने के कारण परिणाम से श्री नवपद जी की अोली जो के अन्तिम चार दिनों में नवछोड़ का भव्य उजमणा चौगान के देहरासर के बाहर के चौक में बंधाये गये भव्य मंडप में आयोजित हुआ। धर्म प्रेमी जनता ने हजारों की संख्या में ज्ञान-दर्शन चरित्र के विविध उपकरणों-सामग्री को देखकर तपधर्म खूब अनुमोदना को । इसके उपरान्त पाराधकों का भावोल्लास बढ़े इस हेतु पूज्य श्री की प्रेरणा से सुन्दर मुकुट कुण्डल श्री गौडी जी महाराज के मूल नायक प्रभुजी को रोज धारण हो तैयार कराकर पूजा पढ़ाकर अभिषेक को विधि पूर्वक चढवाते ।
इसके उपरान्त सागर शाखा मुनि-भगवंतो की प्रेरणा तथा उपदेश से स्थापित ज्ञान-भंडार में तथा उसो प्रकार गोड़ी जी महाराज के देहरासर के भण्डार में अनुपयुक्त तथा जीर्ण हुए चन्द्रमा, रुमाल आदि को निकालकर उनकी जरी आदि व्यवस्थित कारीगरों से निकलवाकर उनके सदुपयोग के रुप में श्रावकों को प्रेरण देकर ज्ञान-भक्ति तथा