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भरे व्यवहार से पूज्य श्री झवेर सागर जी श्री महाराज श्री ने अजमेर में लगभग दो सप्ताह स्थिरता को हो ऐसा लगता है । उसके बाद पूज्य श्री अजमेर से केकड़ी इत्यादि होकर कोटा शहर में चैत्री श्रौली धूमधाम से कराई। बूंदी होकर रामपुरा में प्रक्षय तृतीया पर वहां के श्री सघ के आग्रह से पधारे ।
वहां जिनेन्द्र-भक्ति महोत्सव ठाठ से हुआ इस कारण वहां स्थिरता हुई वहां से वैसाख विद 5 लगभग पूज्य श्री ने ने झालावाड़ पाटण तरफ विहार किया ।
यह सूचना नोचे के पत्र में मिलती है -- "श्री उदयपुर पुजारी चमना श्री कोटा - रामपुरा से लि. मुनि झवेर सागर जी सुख-शाता पढ़ना । यहां श्री देव गुरु कृपा से आनन्द है और मैंने एक चिट्ठी केकड़ी से तुमको भेजी थी उसका उत्तर आया नहीं, फिर बूंदी से भी लिखी थी xx
यदि तुम्हें पत्र लिखने की इच्छा हो तो श्री झालरापाटण लिखना । मैं यहां से दिन xx से विहार करके झालरापाटण पहुंचुगा ठिकाना सेठजी गणेश दास जी दोलत राम जी की दुकान का करोगे तो मुझे पहुचेगी x x x x देव पूजा इत्यादि काम काज में होंशियारी रखना, और जो कोई श्रावक श्राविका इत्यादि मेरे सम्बन्ध में पूछे तो उन्हें
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