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इस पत्र द्वारा यह सब विवरण स्पष्ट जानने को मिलता है ?
ऐसा ही एक अन्य पत्र पू. श्री मूलचन्द जी म. उपर के पत्र के एक सप्ताह बादलिखा हुआ संग्रह में खोज निकाला है।
"अहमदाबाद से लि. मुनि श्री मूलचन्द की सुख-शाता पढ़े । श्री उदयपुर मुनि श्री जवेर सागर जी पत्र विद 8 का प्राप्त हुआ पढ़कर समाचार जाने । और लिखें। तुमने बहुत दवाइयां की है थोड़ी कसर हैं । इसलिए मृगशिर सुद 2 ऊपर विहार करने का विचार है । तुम जब विहार करो उस दिन खबर देना तथा हमें बाद में पत्र कहां लिखना वह खबर देना। किस पते पर तथा किस स्थान पर लिखें सो लिखना तुम्हाराxxxxx सिद्धाचल जी पाने का विचार कैसा है। जो जतलायें।
दयानन्द सरस्वती अब भी तुम्हारी तरफ है वह जाना। हर स्थान पर उत्पात करते हैं । अतः वे जैन की निंदा न करें ऐसी बातें तुम्हे तैयार रखनी है। यहां मुनि भक्ति विजय जी आदि सब 12 ठाणे हैं । वे नीति विजय जी तथा कमल विजय जी तथा खाति विजय जी ने विहार किया है। नीति विजय जी कपड़वंज तरफ गये हैं सो जानना । पत्र के पहुँचते ही पूनः पत्र लिखना।
सं. 1939 का कार्तिक विद- 10 वार भौमे. १२६