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तमारा सेवक गोकल की वंदना पढ़ना " । इसके बाद इस पत्र के लिखने वाले गोकल भाई ने स्वयम के सम्बन्ध में कितनी ही बातें लिखी है ।
इस पत्र से पूज्य श्री ने विशिष्ठ योग्य उपचार कर जल्दी से माघ. सु. 2 विहार करने की तैयारी की हो ऐसा लगता है। परन्तु पांव की गांठ पूरी पूरी ठीक नहीं हुई थी तथा श्री संघ ने भी मौन एकादशी जैसे महापर्व की श्राराधना करवाने के लिए खूब आग्रह किया जिससे माघ सु. 15 तक स्थिरता की । माघ विद बीज पूज्य श्री गोगुन्दा - सायरा होकर भाणपुरा की नाल होकर राणकपुर तीर्थ की यात्रा के लिए पधारे । वहां से घाणेराव, मूंछाला महावीर जी यात्रा करके देसुरी तरफ विचरण कर माघ विद में शाहपुरा पधारे । वहां दयानन्द सरस्वती के जोरदार प्रवचनों से भ्रमित हुई जनता को सत्य -मार्ग दिखाने के लिए पूज्य श्री ने थोड़ी स्थिनताकी फाल्गुन सुद दशम लगभग * अजमेर पधारे ।
.... म. आज
* यह बात प्राचीन संग्रह में से खोज निकाले नीचे के पत्र से व्यक्त होती है- श्री उदयपुर पुजारी चमना जी गुजरगोड़-श्री बांदनवाड़ा सूलि, मुनि झवेर सागर जी सुख- शाता दिन यहां आया हूँ । परसू सु. 10 को अजमेर पहुंचूगा । वहां सर्व हाल क्या है, सो लिखजो और मंदिरों की पूजा सेवा ठीक रीति से करजों × × × × और मेरे नाम को चिट्ठियां आयी हो वह सब
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