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इस समाचार से उदयपुर जैन श्री संघ ने पूज्य श्री को आग्रहभरी विनति की कि .... "बावजी सा अब तो किसी प्रकार आपको विहार करने नही देंगे, आपने यहां आर्य समाजियों का मुंहतोड़ जवाब देकर जो शासन की अपूर्व प्रभावना की है. यह तो वास्तव में सद्भाग्य की बात है । अब यह आने वाला झमेला तो घर में से ही उठ रहा है।
श्री उदयपुर मुनि झवेर सागर जी तुम्हारा का. व. 6 का पत्र मिला है । और रु. 20/- की चिट्टी से पांच परतों में बंद की है जिस रूप में रु.200डाक वाले के मारफत मगनलाल पूजावत गोकुल के उपर भेजी उस रुप में - ‘तथा गोकुल भाई ने डाक से मंगाई है उसका तुम्हारे ऊपर कागज लिख--कर उन्होने बंद कर भेजा है।
इस देश में इस प्रकार है मुनि आतमाराम जी ठा. 7 श्री अंबाला चातुर्मास है तथा वसन चंद जी लुधियाना है तेइस साधु है। तीन उदयपुर मे है । रायपेसेणी सूत्र वह अत्युत्तम है । जैसे शासन की शोभा बढे. वैसा व्यवहार करे। 11 व्रत को, कोई बाहर की परुपणा करते हैं । उस सम्बन्ध में तिर्यंचना वही व्रत 11 को संभव है। इस बाबत पहले ही बंद कर भेजा है अभी तक देखने में नही आया है । गोकुल भाई को बात की। उन्होने अापके ऊपर पत्र लिखकर भेजा है सो उससे सूचित होना । उनके लिखने पर ध्यान रखना । पुनः पत्र लिखना । मीति सं.1938 का आषाढ विद 11 मुनि वीर विजे जी ने तुम्हे जो पुस्तक की याद लिखाई है वह पुस्तक वर्षा यह पत्र
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