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(4) मेवाड़ की राज्य गद्दी उदयपुर में आने के पश्चात प्रतापी
तथा न्यायी के रूप में विख्यात महाराणा राजसिंह जो विक्रम की सत्रहरवीं सदी के उत्तरार्ध जनता के हित में कला समृद्ध अनेक तोरणो वाले मीलों के विस्तार में राजसमुद्र नाम से बहुत बड़ा तालाब बंधवाया जिसका व्यय उस समय एक करोड़ रुपया हुना।
उस महाराणा के मंत्री श्री दयाल शाह वीतराग परमात्मा की भक्ति को जीवन का श्रेय करने वाली मानकर मेवाड़ महाराणा से कुछ बताकर एक पाई कम करोड़ रुपया की संपत्ति खर्च कर भव्य चौमुख जिनालय 10 से 11 माला का अति उत्कृष्ट कलाकारीगरी वाला निर्माण कराया ।
बादशाही काल में यह मंदिर बना फिर भी "दयालशाह का किला' नाम से अद्भुत चौमुख जिनालय राजसमुद्र जलाशय के किनारे भव्य तरीके से अलौकिक आध्यात्मिक प्रेरणा दे रहा है।
(5) मांडव गढ़ के महामंत्री पेथड़शाह ने जिसका जीर्णोद्धार
कराया ऐसा अतिप्राचीन श्री पार्श्वनाथ परमात्मा का यह तीर्थ धर्मप्रेमी जनता की भाव वृद्धि करे ऐसा मावली जंकशन से चित्तौड़ तरफ जाने वाली रेल्वे लाइन पर भूपाल सागर स्टेशन के पास आया है।
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