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परोपकारी महात्मा पुरुष थे, आदि बताया । पूज्य श्री के
आसोज विद में
सम्बोधन से उत्साहित संघ की तरफ से तपागच्छ के प्रभावक श्री मणि विजय दादा के स्वर्गवास के निमित्त शान्ति स्नात्र के साथ प्रष्टान्हिका महोत्सव करने का निश्चय किया । पूज्य श्री ने ओली जी की आराधना में एकत्रित पुण्यवानों को विविध प्रेरणा प्रदान कर प्रभुभक्ति स्वयं निज हाथ से करने से अनंत लाभ होगा ऐसे समझाय कर नगर के अन्य देरासर के पुजारियों के भरोसे भगवान की होने वाली ( श्राशातमा) टालने के लिये ध्यान प्राकर्षित किया ।
अनेक पुण्यात्मानों ने देरासर का कचरा निकालने से लेकर प्रभु भक्ति के समस्त कार्य खुद के हाथ से करने की प्र ेरणा ली। श्री संघ की तरफ से पू. श्री मणिविजयजी म. "दादा" के स्वर्गवास के निमित्त होने वाले अट्ठाई महोत्सव में भी प्रभु भक्ति के महत्व के साथ श्रावक के कर्तव्य के रुप श्रीवताराग-प्रभु को अष्टप्रकारो पूजा इत्यादि स्वहस्ते स्व- द्रव्य करने की बात पर खूब विश्लेषण युक्त प्रकाश फैलाया । महोत्सव के दरम्यान अनेक भाविक पुण्यात्मानों द्वारा शहर के कोने कोने दुरदराज में खुद के हाथ से पूजा करने कराने की प्र ेरणा दी। अनुपयोग के कारण होती हुई बहुत आशातनाओं को दूर कराया ।
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