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________________ जो आज तक महाराणा का राज्य रहा तब तक बराबर प्रत्येक पर्युषण पर सैंकड़ों हजारों जीव से इससे मुक्त होते थे। ऐसा महत्व का कार्य चातुर्मास में हुआ। इसके अतिरिक्त दूसरा महत्व का काम यह हुआ कि आसोज मास की शाश्वत अोली जी की आराधना शाह मनरुप जी चौहान तरफ से अष्टान्हिका महोत्सव के साथ धूमधाम से हुई जिसमें शाह केशरीचंद जी मेहता को तरफ से ओली वालों का पारणा हुआ। इस अोली जी के बीच में प्राकृतिक भावी संकेत के अनुसार अनिच्छनोय घटना यह बनी कि संवेगो शाखा में वर्तमान में समस्त साधुओं के सर्वोपरि पू. पं श्री मणिविजय जो म. “दादा" का स्वर्गवास पासोज सु. 8 प्रातः अहमदाबाद में हो गया जिसका समाचार पूज्य श्री को उदयपुर में सु. 10 प्रातः व्याख्यान के समय मिला। चालू व्याख्यान में पूज्य श्री खूब ही गंभीर उदास बन गये । “वर्तमान समय में श्रमण संख्या को संवेगो परम्परा अभी जूझने को स्थिति में है। ऐसे समय में उत्कृष्ट संयमागीतार्थ-विद्वान महापुरुषों का स्वर्गवास होना निश्चय ही हमारे लिए दुर्भाग्यसूचक है । फिरभी भावी के चक्र को कौन रोक सका" यो विचार करसम्पूर्ण श्री सध के साथ देव वंदन करके पूज्य श्री का परिचय थोड़े में बतलाकर हमारे भी
SR No.006199
Book TitleSagar Ke Javaharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaysagar
PublisherJain Shwetambar Murtipujak Sangh
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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