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________________ होता है । अब तो इस मेले में भील आदिवासी लोग भी कालिया बाबा की अटूट भक्ति से हजारों की संख्या में एकत्रित होते हैं । पू. श्री केशरियाजी से सलुम्बर प्रादि गांवों को स्पर्श करके उदयपुर वैसाख महीने पधारे । श्री संघ के अनेक धर्मकार्यों को पूरा किये जाने से वि. स. 1934 का चातुर्मास भी उदयपुर में ही सम्पन्न किया। ____चातुर्मास की शुरुआत मे ही श्री वर्धमानतप की अोलो की आराधना कराई । पर्वाधिराज की आराधना के प्रसंग में चौसठ प्रहरी पौषध की प्रेरणा करके अनेक पुण्यवानों को पोषध के साथ पर्वाधिराज की आराधना कराई । पर्युषण के बाद नगर यात्रा का आयोजन कर समस्त जिनालयों में श्रावकों ने स्वयं के हाथों से कचरा निकाल कर प्रभुजी की अष्टप्रकारी पूजा का सामुदायिक कार्यक्रम संयोजित कर पूज्य श्री ने श्री संघ में अपूर्व धर्मोत्साह प्रकट किया। चातुर्मास पूरा होने पर भीलवाड़ा की तरफ विहार कर अनेक गांवों में धर्म की आराधना के विशिष्ट वातावरण को तैयार कर फाल्गुन चातुर्मास पर लगभग पुनः उदयपुर पधारे । कानोड़ के श्री संघ में भींडर वाले यति जो को रूआब भरी सत्ता के कारण स्थानकवासी तथा तेरापंथियों ने देरासर में लागत इत्यादि देना बंद करने से उत्पन्न विक्षेत्र को दूर करने के लिए उदयपुर श्री संघ के अग्रगण्य
SR No.006199
Book TitleSagar Ke Javaharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaysagar
PublisherJain Shwetambar Murtipujak Sangh
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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