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पवित्र चै. वि. 8 के दिन को महत्व का मानने पर अधिक - बल देकर देश-देशान्तर में हजारों पत्रिकायें भिजवाकर खूब ही प्रचार कराया।
फा वि. 3 के मंगल मुहूर्त में श्री संघ ने उदयपुर से प्रयाण किया । पुरुषदाणी प्रकट प्रभावी श्री पार्श्वनाथ प्रभु से अधिष्ठित श्री सवीनाखेड़ा तीर्थ में पहला मुकाम हुआ। ___ फा. वि.7 के मंगल दिन केशरियाजी तीर्थ में मंगल प्रवेश हुआ। प्रचार के आधार पर राजस्थान, मालवा, मेवाड़, गुजरात, काठियावाड़ आदि प्रदेशों में हजारों की संख्या में यात्रीगण आये । उन सबकों हर्षोल्लास के मध्य विद अष्ठमी प्रातः तीर्थ पति के समूह-चैत्यवंदन के साथ दर्शन कर देरासर के सामने चौक में तीर्थमाल की विधि सम्पन्न हुई। व्याख्यान भी हुआ । संघपति तरफ से प्रभु जी की अष्ठप्रकारी पूजा ठाठ से हुई। दोपहर में बड़ो पूजा पढ़ाई गयी । सायं चार बजे भव्य रथ यात्रा निकली । पूज्य श्री ने आये हुए यात्रियों को प्रतिवर्ष इस दिन को मेला वार्षिक यात्रा के प्रतिरूप चालू रख कर प्रभु-भक्ति पूजा-रथ यात्रा प्रादि सम्पन्न करके इस दिन को उद्यापन के लिए प्रेरणा की।
वि. सं. 1934 के फा. वि. 8 से प्रारंभ हुआ यह मेला आज दिन तक खूब ठाठबाठ से खूब प्रभाव से आयोजित