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भरी विनती की तथा आगम वाचना रूप परमात्मा वीतराग श्री तीर्थंकर परमात्मा की अमृतवाणी सुनने की दोन विनती की ।
पू. श्री ने भी विषमकाल में समवयोगात संवेगी परम्परा के साधुओं के सहवास की कमी के कारण अन्य संप्रदाय वाले शास्त्र के नाम से मनघडंत बातों को बहुत महत्व दे रहे हैं । इस प्रसंग में श्री संघ में प्रागमिक ज्ञान की बढ़ोतरी हो इस उद्देश्य से का वि. वि. इन्दोर से विहार कर का. वि. 10 प्रातः महीदपुर पधारे ।
; महीदपुर में तीन थुई वालों के साथ चर्चा होने की बात का उल्लेख मिलता नहीं है ।
यह सूचना तनिक विचारणीय लगती । 45 आगमों की वाचना में कम से कम 22 - 3 वर्ष चाहिए । फिर भी ज्यों प्रा. श्री विजय राजेन्द्र सूरि के कुक्षी के चातुर्मास मे नो महिने एक साथ रहकर 45 श्रागम की वाचना का उल्लेख मिलता है । उसी प्रकार कोई विशिष्ठ वाचना की पद्धति अपनाकर पूज्य श्री ने आगम इन्दौर में पढे भी हो यह संभावित लगता है । क्योंकि श्री भगवती सूत्र 11⁄2 वर्ष में पूरा होता है तो भी आज मात्र 4 माह में पूरा श्री भगवती सूत्र पढ़ने वाले गीतार्थ भगवंत मोजूद हैं । इसी प्रकार शायद 45 के वाचन की भी संभावना गिनी जा सकती है ।
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