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________________ वि. सं. 1932 का चातुर्मास श्री संघ के आग्रह से इन्दौर में हुआ । पूज्य श्री को तात्विक आगमप्रधान देशना से अनुरंजित होकर विवेकी श्रावकों ने श्री पन्नवण तथा श्री जीवाभिगम सूत्र की वाचना चातुर्मास की अवधि में प्रातः काल तथा दोपहर में हुई। पांच घंटे आगम वाचना रूप उमंग भर कर सुनी* चातुर्मास की ही अवधि में अनेक तपस्याओं के साथ विविध धर्म कार्य भी हुए। चातुर्मास की हो अवधि में महीदपुर के संघ के अग्रगण्य श्रावक श्री वृद्धि चंद, अम्बालाल जी, रतन चद जी आदि श्रावक आगम वाचन के आकर्षण से ताबड़तोड आठ-दस दिन रूककर चातुर्मास के मध्य डेढ़ माह पूज्य श्री के आगमिक व्याख्याओं को सुनकर चातुर्मास पूरा होते हो तत्काल महीदपुर पधारने की आग्रह * एक वृद्ध मुनि के पास पुगतन सूचना में ऐसा भी उल्लेख है कि "मुनि झवेर सागर जी ने इन्दौर में स्थिरताकर और 46 मागम की वाचना की, इसमें महेन्द्रपुर शब्द है वह साधारण महीदपुर (मालवा) का भ्रम कराता है । परन्तु उपरोक्त हिन्दी की पुस्तिका की बात के आधार पर "महा" शब्द को विशेषण मानकर "इन्द्रपुरे-इन्दौंर नगर में" ऐसा अर्थ माना जा सकता है। ७६
SR No.006199
Book TitleSagar Ke Javaharat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaysagar
PublisherJain Shwetambar Murtipujak Sangh
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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