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________________ ११ जयोदय महाकाव्य का शैलीवैज्ञानिक अनुशीलन निरन्तर अपने पूर्व आचार्य के समीप रहकर तन्मयता व तत्परता से सेवा करते, सम्बोधित करते थे। __ ज्येष्ठ कृष्णा अमावस्या, १ जून १९७३ का दिन, समाधिमरण का पाठ चल रहा था । चारों ओर परम शान्ति थी । “ॐ नमः सिद्धेभ्यः" का उच्चारण हृदयतन्त्री को झंकृत कर रहा था। उसी समय आत्मलीन मुनि श्री ज्ञानसागर जी ने प्रातः १० बजकर ५० मिनिट पर पार्थिव देह का परित्याग कर दिया ।' : सर्जना : महाकवि ने संस्कृत एवं हिन्दी भाषा में अनेक ग्रन्थों का सृजन कर इन भाषाओं के साहित्य भण्डार को समृद्ध किया है । उनकी यशस्वी लेखनी से प्रसूत साहित्य इस प्रकार संस्कृत साहित्य (क) महाकाव्य - (१) जयोदय, (२) वीरोदय, (३) सुदर्शनोदय तथा (४) भद्रोदय [समुद्रदत्त चरित्र । (ख) चम्पू काव्य - दयोदय चम्पू । (ग) मुक्तक काव्य - (१) मुनिमनोरञ्जनाशीति, (२) ऋषि कैसा होता है, . (३) सम्यक्त्वसार शतक । (घ) छायानुवाद - प्रवचनसार प्रतिरूपक । हिन्दी साहित्य (क) महाकाव्य- (१) ऋषभावतार, (२) भाग्योदय, (३) गुणसुन्दर वृत्तान्त । (ख) गद्य -- (१) कर्तव्यपथ प्रदर्शन, (२) मानव धर्म (३) सचित्त विवेचन, (४) स्वामी कुन्दकुन्द और सनातन जैन धर्म। (ग) पद्य - (१) पवित्र मानव जीवन, (२) सरल जैन विवाह विधि (घ) टीका ग्रन्थ - तत्त्वार्थदीपिका (तत्वार्थ सूत्र पर) . (ङ) अनुवाद -- (१) विवेकोदय (समयसार का पद्यानुवाद), (२) देवागम स्तोत्र का पद्यानुवाद, (३) नियमसार का पद्यानुवाद, (४) अष्टपाहुड का पद्यानुवाद, (५) समयसार तात्पर्यवृत्ति का हिन्दी अनुवाद १. बाहुबली सन्देश, पृष्ठ - १६
SR No.006193
Book TitleJayoday Mahakavya Ka Shaili Vaigyanik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAradhana Jain
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year1996
Total Pages292
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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