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XVIII
चतुर्थ अध्याय :
७८-८८
पंचम अध्याय:
षष्ठ अध्याय:
मुहावरे एवं प्रतीक विधान मुहावरे का लक्षण, मुहावरों का भाषिक वैशिष्ट्य, मुहावरों का वर्गीकरण । जयोदय में मुहावरे ------- वक्रक्रियात्मक मुहावरे, वक्रविशेषणात्मक मुहावरे, निदर्शनात्मक मुहावरे, अनुभावात्मक मुहावरे, उपमात्मक मुहावरे, रूपकात्मक मुहावरे । प्रतीक का लक्षण, प्रतीकों का अभिव्यंजनात्मक महत्व । जयोदय में प्रतीक ------ प्राकृतिक प्रतीक, पौराणिक प्रतीक, प्राणीवर्गीय प्रतीक। अलंकार विन्यास
८९-११० अलंकार का स्वरूप, अलंकारात्मक कथन प्रकार का वर्गीकरण ------ सादृश्यमूलक अलंकार, समर्थनात्मक अलंकार, विरोधमूलक अलंकार, मालात्मक शृंखलात्मक अलंकार, आक्षेपात्मक अलंकार, पूर्वापरस्थितिवर्णनात्मक अलंकार, प्रच्छन्ननिन्दास्तुतिमूलक अलंकार, प्रतीकात्मक अलंकार, कारणकार्यपौर्वापर्यविपर्ययात्मक अलंकार, प्रस्तुतान्यत्वनिरूपणात्मक अलंकार, आवृत्तिमूलक अलंकार, पदक्रममूलक अलंकार । जयोदय में अलंकारः अर्थालंकार ------ उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अपहृति, ससन्देह, समासोक्ति, व्यतिरेक, भ्रान्तिमान्, निदर्शना, अर्थान्तरन्यास, दृष्टान्त, मालारूप प्रतिवस्तूपमा, विभावना, विरोधाभास, दीपक, चित्रालंकार । बिम्ब योजना
१११-१३१ काव्यबिम्ब का स्वरूप, बिम्ब निर्माण की रीति, बिम्ब का उपस्थापन बिम्बविधान का अभिव्यंजनागत महत्त्व । बिम्ब के कार्य, भावों की साक्षात्कारात्मिका प्रतीति, भावातिशय का सम्प्रेषण, रसाभिव्यंजक, भावपरम्परा के व्यंजक, भावोद्बोधक, विभावादि की बिम्बात्मकता, अलंकाराश्रित बिम्ब, मुहावराश्रित बिम्ब, लोकोक्तिजन्य बिम्ब, प्रतीकाश्रित बिम्ब, लाक्षणिक प्रयोगाश्रित बिम्ब | बिम्ब के आश्रयभूत भाषिक अवयव संज्ञाश्रित बिम्ब, विशेषणाश्रित बिम्ब, क्रियाश्रित बिम्ब, क्रियावि.प्रणाश्रित बिम्ब । संवेदनापरक बिम्ब ----- दृष्टिपरक बिम्ब, स्पर्शपरक बिम्ब, घ्राणपरक बिम्ब, श्रवणपरक बिम्ब, स्वादपरक बिम्ब । बिम्ब और अलंकारादि में अन्तर। जयोदय में बिम्ब विधान (ऐन्द्रिय संवेदनाश्रित वर्गीकरण) ------- दृष्टिपरक बिम्ब, स्पर्शपरक बिम्ब, स्वादपरक बिम्ब, श्रवणपरक बिम्ब । अलंकाराश्रित बिम्ब, लक्षणाश्रित बिम्ब, लोकोक्तिजन्य बिम्ब, मुहावराश्रित बिम्ब, वाक्याश्रित बिम्ब, संज्ञाश्रित बिम्ब, विशेषणाश्रित बिम्ब, क्रियाश्रित बिम्ब लोकोक्तियाँ एवं सूक्तियाँ
१४०-१४८ लोकोक्ति का लक्षण, लोकोक्तियों का अभिव्यंजनात्मक महत्त्व । जयोदय में लोकोक्तियाँ । सूक्ति का स्वरूप, सूक्तियों का अभिव्यंजनात्मक महत्त्व । जयोदय में सूक्तिप्रयोग।
समम अध्याय: