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कुशलानुबंधीचतुःशरणएवंचतुःशरणप्रकीर्णककेप्रकाशितसंस्करणः ___ अर्धमागधी आगम साहित्य के अंतर्गत अंग, उपांग, नियुक्ति, भाष्य, टीका आदि के साथ अनेक प्राचीन एवं अध्यात्मप्रधान प्रकीर्णकों का निर्देश भी प्राप्त होता है कि किन्तु व्यवहार में इन प्रकीर्णकों के प्रचलन में नहीं रहने के कारण अधिकांश प्रकीर्णक जन-साधारण को अनुपलब्ध ही रहे और कुछ प्रकीर्णकों को छोड़कर अन्य का प्रकाशन भी नहीं हुआ है । कुशलानुबंधी चतुःशरण प्रकीर्णक के उपलब्ध प्रकाशित संस्करणों का विवरण इस प्रकार है
(1) चउसरण पयन्ना - जैन सिद्धांत स्वाध्याय माला, प्रकाराव जीवन श्रेयस्कर - ग्रंथमाला, रॉगडी चौक, बीकानेर, ई.सं. 1941।
(2) चउसरणपइन्नयं - प्रकरणमाला - प्रका' श्री जैन विद्याशाला, अहमदाबाद, ई. सं. 19050
(3) चउसरणपइण्णं - जैन स्वाध्यायमाला, प्रका. श्री अखिल भारतीय साधुमार्गी जैन संस्कृति रक्षक संघ, सैलाना, (म.प्र.) ई.स. 1965
(4) चउसरणपइण्णयं - प्रकीर्णकदशकं, प्रका. श्री आगमोदय समिति, सूरत, ई.सं. 1927
विगत कुछ वर्षों से प्राकृत भाषा में निबद्ध कुछ प्रकीर्णकों का, संस्कृत, गुजराती और हिन्दी आदि विविध भाषाओं में अनुवाद सहित प्रकाशन हुआ है। चतुःशरणप्रकीर्णक के विविधभाषाओं में निम्नलिखित संस्करण प्रकाशित हुए हैं - ____ 1. चतुःशरण- प्रकाशक - तत्व विवेचक सभा, वर्ष 1901, भाषा- प्राकृत, गुजराती। 2. चतुःशरण - प्रकाशक - देवचन्द लालभाई पुस्तकोद्धार संघ, बम्बई, भाषा - प्राकृत, संस्कृत। 3. चतुःशरण - प्रकाशक - हीरालाल हंसराज, जामनगर, भाषा-प्राकृत, गुजराती। 4. चतुःशरण - प्रकाशक - मनमोहन यश स्मारक, वर्ष 1950, भाषा- प्राकृत, हिन्दी तथा वर्ष 1934, भाषा - प्राकृत। कुशलानुबंधी चतुःशरण एवं चतुःशरण प्रकीर्णक के कर्ता
प्रकीर्णकों में चन्द्रकवैद्यक, तन्दुलवैचारिक, महाप्रत्याख्यान, मरण-विभक्ति, गच्छाचार, संस्तारक आदि अनेक प्रकीर्णकों के रचयिता के नामों का कहीं कोई निर्देश नहीं मिलता है। प्रकीर्णक ग्रंथों के रचयिताओं के संदर्भ में मात्र देवेन्द्रस्तव और ज्योतिषकरण्डक ये दो ग्रंथ ही ऐसे हैं जिनमें स्पष्ट रूप से इनके रचयिताओं के