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________________ 339 साधकों को न केवल समाधिमरण की दिशा में प्रेरित करेगा अपितु यह भी स्पष्ट करेगा कि वे समाधिमरण के द्वारा किस प्रकार अपनी साधना को पूर्ण बना सकें । समाधि मरण संबंधी विविध प्रकीर्णक ग्रंथ वस्तुतः उन कुंजियों के समान हैं जो साधक को साधना की परीक्षा में सफल बना देती हैं । वस्तुतः ये ग्रंथ अनासक्त जीवन जीने की वह विधि प्रस्तुत करते हैं जिसके द्वारा वैयक्तिक और सामाजिक जीवन समत्व और शांति की अनुभूति की जा सकती है । संवत्सर महापर्व भाद्रपद शुक्ला पंचमी 23 अगस्त, 1995 सागरमल जैन सहयोगी - सुरेश सिसोदिया
SR No.006192
Book TitlePrakrit Ke Prakirnak Sahitya Ki Bhumikaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2016
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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