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2. सूत्रकृतांग सूत्र में महावीर के नामें की चर्चा- सूत्रकृतांग के प्राचीन अंश प्रथम श्रुत स्कंध में वीर स्तुति में प्रतिपादित नामों के कई नाम महावीर के लिए प्रयुक्त हुए है। यहाँ पर पूर्व आचारांग गत नामों के अतिरिक्त वीर' शब्द का उल्लेख हुआ है उदाहरण के लिए -
(अ) वीर' - सूत्रकृतांग- 1/1/1/1 (ब) एवमाहु से वीरे- वही- 14/2/22 (स) उदाहुवीरे - वही- 1/14/11
'भगवान्', 'जिन' एवं अरिहंत' या अरहंत शब्द का प्रयोग पूर्व परंपरा की तरह ही प्रयुक्त हुए है। ____ आचारांग के द्वितीय श्रुतस्कन्ध में श्रमण भगवान महावीर के तीन नामों का उल्लेख हुआ है" - वर्धमान, सन्मति और श्रमण। श्रमण भगवान महावीर के ज्ञातपुत्र, विदेह आदि नामों का भी उल्लेख प्राप्त होता है, जैसे..... “समणेभगवं महावीरेनाए नायपुत्ते नाह कुलनिव्वत्ते विदेह विदेहदिन्ने ........"। ज्ञातव्य है कि वीर आदि नामों के साथ-साथ आचारांग के द्वितीय श्रुत स्कन्ध में प्रथम बार तित्थयर, भगवं, अरहंत, केवलि, जिनसव्वणु नामों का महावीर के लिए स्पष्ट रूप से प्रयोग हुआ है।
सूत्रकृतांग में महावीर के लिए बुद्ध' शब्द का प्रयोगभी अनेक जगह हुआ है" । साथ ही साथअनन्तचक्षु"सर्वदर्शी "त्रिलोकदर्शी"
16. 17. 18. 19.
सूत्रकृतांग- 11/2/3/22,1/16/1,1/2/3, 19,1/9/29 आचारांग- 2/15/175 वही-2/171 (अ) वही 2/109 (ब) सेभगवंअरहंजिणे, केवली, सव्वण्णूसव्व भावदरिसी...आचारांग 2/15/179 सूत्र कृतांगसूत्र -1/11/25,1/11/35,1/15/18 वही-1/6/6 वही-1/6/5 वही-1/14/16
21. 22. 23.