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क्र.स.
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7.
8.
9.
10.
नक्षत्र का नाम
मृगशिरा, रेवती, चित्रा,
अनुराधा और शुक्रवार
मूल, ज्येष्ठा, आर्द्रा, आश्लेषा और शनिवार
संज्ञा
रोहिणी, आर्द्रा, पुष्य,
घनिष्ठा उ.फा., उ.षा.,
उ. भा. श्रवण,
शतभिषा
मृदु अथवा
मैत्रसंज्ञक
तीक्ष्ण अथवा दारुण संज्ञक
उनमें करणीय कार्य
उर्ध्वमुख
गीत शिक्षण, वस्त्र धारण,
क्रीड़ा, मैत्री, आभूषण
निर्माण एवं धारण
भरणी, कृतिका, आश्लेषा, अधोमुख बावड़ी कूप, तालाब, तृणादि
मघा, मूल, विशाखा,
संग्रह, देवता आगार
पू. फा., पू.षा., पू.भा.
खनन, खानों की खुदाई
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अभिचार, कर्म, उग्र कर्म
हनन, मित्र कलह, हाथी,
घोड़े आदि की शिक्षा
बन्धनादि कर्म
राज्याभिषेक, पट्टबन्धादि
उन्नत कर्म
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रेवती, अश्विनी, चित्रा, तिर्यङ्मुख हाथी, घोड़े, ऊँट, बैल,
| महिष आदि को शिक्षा देना
की बुवाई, यातायातादि कर्म