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अत्यशन, 13.शतञ्जय, 14. अग्निवेश्म तथा 15 उपशम
इस प्रकार प्रत्येक पक्ष में 15 रात्रियाँ बतलायी गई है। यथा- प्रतिपदारात्रि, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पञ्चमाअर्थात् अमावस्यायापूर्णिमा की रात्रि।'
इन 15 रत्रियों के अन्य 15 नाम भी बतलाये गये हैं। वे हैं- 1. उत्तमा, 2. सुनक्षत्रा, 3. एलापत्या, 4. यशोधा, 5. सौमनसा, 6. श्रीसम्भूता, 7. विजया, 8. वैजयन्ती, 9. जयन्ती, 10. अपराजिता, 11. इच्छा, 12. समाहारा, 13. तेजा, 14. अतितेजा और 15. देवानंद या निरति।'
2.तिथिद्वार-जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति में पंद्रह दिनोंकी पंद्रह तिथियाँ बतलायीगयी है।' प्रतिपदा
= नन्दा द्वितीया
= भद्रा
1.
3. 4. 5.
जंबूद्वीप्रज्ञप्ति- मुनि मधुकर - सूत्र 185 वही, सूत्र 185। वही, सूत्र 185। जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति, पृष्ठ 355-56 जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति, मुनिमधुकर- पृष्ठ 355-356।