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________________ 207 नन्दीश्वर द्वीप का विस्तार द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, स्थानांगसूत्र, हरिवंश पुराण एवं लोकविभाग आदि ग्रंथों में 1638400000 योजन बतलाया गया है। द्वीपसागर प्रज्ञप्ति तथा स्थानांगसूत्र के अनुसार नन्दीश्वर द्वीप में 819195300 योजन जाने पर अंजन पर्वत आते हैं। हरिवंशपुराण तथा लोकविभाग के अनुसार अंजन पर्वत नन्दीश्वर द्वीपके मध्य में हैं। ___द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, स्थानांगसूत्र, समवायांगसूत्र एवं लोकविभाग आदि ग्रंथों में अंजन पर्वतों की ऊँचाई 84000 योजन मानी गई है। द्वीपसागर प्रज्ञप्ति तथा स्थानांगसूत्र के अनुसार इन पर्वतों की जमीन में गहराई 1000 योजन है तथा इनका विस्तार अधोभाग में 10,000 योजन एवं शिखर-तल पर 1000 योजन है। लोकविभाग में इन पर्वतों का विस्तार मूल, मध्य व शिखर - तल पर भी ऊँचाई के बराबर अर्थात् 84000 योजन ही माना गया है। पुनः इन पर्वतों की जमीन में गहराई लोकविभाग में 1000 योजन ही मानी गई है। द्वीपसागर प्रज्ञप्ति और स्थानांगसूत्र में प्रत्येक अंजन पर्वत के शिखर तल पर जिनमंदिर कहे गये हैं। दोनों ग्रंथों में जिनमंदिरों की लंबाई 100 योजन तथा चौड़ाई 50 योजन मानी गई है, किन्तु ऊँचाई के परिमाण को लेकर दोनों ग्रंथों में भिन्नता दृष्टिगोचर होती है। द्वीपसागर प्रज्ञप्ति के अनुसार इन मंदिरों की ऊँचाई 75 योजन है जबकि स्थानांगसूत्र में यह ऊँचाई 72 योजन मानी गई है। द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, स्थानांगसूत्र, जीवाजीवाभिगमसूत्र, हरिवंश पुराण तथा लोकविभाग के अनुसार अंजन पर्वत के 100000 योजन अपान्तराल के पश्चात् पूर्वादि अनुक्रम से चारों दिशाओं में 100000 योजन वाली चार-चार पुष्करिणियाँ हैं। यद्यपि इन सभी ग्रंथों में यह माना गया है कि इन पुष्करिणियों की चारों दिशाओं में क्रमशः चार-चार वनखण्ड हैं किन्तु वनखण्डों का परिमाण सभी ग्रंथों में भिन्न-भिन्न बतलाया गया है। द्वीपसागरप्रज्ञप्ति में इन वनखण्डों की लंबाई100000 योजन तथा चौड़ाई मात्र 500 योजन मानी गई है । जीवाजीवाभिगमसूत्र में लंबाई सविशेष 12000 योजन तथा चौड़ाई 500 योजन मानी गई है। हरिवंश पुराण तथा लोकविभाग में इन वनखंडों की लंबाई 100000 योजन तथा चौड़ाई 50000 योजन बतलाई गई है। पुष्करिणियों के मध्य में दधिमुख पर्वत हैं, यह उल्लेख द्वीपसागर प्रज्ञप्ति,
SR No.006192
Book TitlePrakrit Ke Prakirnak Sahitya Ki Bhumikaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2016
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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