________________
170
(29)
____170 इलादेवी 1 सुरादेवी 2 पहुई 3 पउमावई 4 य विन्नेया। एगनासा 5 णवमिया 6 सीया 7 भद्दा 8 यअट्ठमिया॥ अवरेण जे उ कूडाअट्ठविरुयगे तहिं एया॥
(द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गाथा 132-133)
(30)
अलंबुसा 1 मीसकेसी 2 पुंडरगिणी 3 वारुणी 4। आसा 5 सग्गप्पभा 6 चेव सिरि 7 हिरी, 8 चेव उत्तरओ॥ एया दिसाकुमारी कहिया सव्वण्णु - सव्वदरिसीहिं। जे उत्तरेणकूडा अट्ठविरुयगे तहिं एया॥
(द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गाथा 134-135)
(31)
या
रुयगाओसमुद्दाओ दीव-समुद्दा भवे असंखेजा। गंतूण होइ अरुणो दीवो, अरुणोतओ उदही॥ बायालीस सहस्सा 42000 अरुणंओगाहिऊण दक्खिणओ। वरवइरविग्गहीओ सिलनिचओ तत्थ तेगिच्छी॥ सत्तरस एक्कवीसाइंजोयणसयाइं 1721 सो समुव्विद्धो। दसचेवजोयणसए बावीसे 424 वित्थडो उमज्झम्मि। सत्तेवयतेवीसे 723 सिहरतले वित्थडो होई॥ सत्तरसएक्कवीसाइं 1721 पएसाणंसयाइंगंतूणं। एक्कारस छन्नउया 1196 वड्ढते दोसुपासेसु॥ बत्तीस सया बत्तीसउत्तरा 3232 परिरओ विसेसूणो। तेरसईयालाइं 1341 बावीसं छलसिया 2286 परिही। रयणमओ पउमाएवणसंडेणंचसंपरिक्खित्तो। मझे असोउववेढी, अड्ढाइजाइंउव्विद्धो॥ वित्थिण्णो पणुवीसंतत्थयसीहासणंसपरिवारं। नाणामणि-रयणमयं उज्जोवत दस दिसाओ।
(द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गाथा 166-173)