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________________ 166 (20) जो अवरदक्खिणेरइकरोउतस्सेव चउदिसिंहोति। सक्कऽग्गमहिस्सीणंएयाखलु रायहाणीओ॥ भूया 1 भूयवडिंसा 2, एया पुव्वेण दक्खिणेणभवे। अवरेण उत्तरेण यमणोरमा 3 अग्गिमालीया 4॥ ___ (द्वीपसागर प्रज्ञप्ति, गाथा 65-66) (21) अवरुत्तररइकरगे चउद्दिसिंहोंति तस्स एयाओ। ईसाणअग्गमहिसीणताओखलु रायहाणीओ॥ सोमणसा 1 यसुसीमा 2, एयापुव्वेण दक्खिणेणभवे। अवरेण उत्तरेण यसुदंसणा 3 चेवऽमोहा 4 य॥ (द्वीपसागर प्रज्ञप्ति, गाथा 67-68) (22) पुव्वुत्तररइकरगे तस्सेवचउद्दिसिंभवे एया। ईसाणऽग्गमहिसीणसालपरिवेढियतणओ॥ रयणप्पहा 1 यरयणा 2, (एया) पुव्वेण दक्खिणेणभवे। सव्वरयणा 3 रयणसंचया 4 यअवरुत्तरे पासे॥ (द्वीपसागर प्रज्ञप्ति, गाथा 69-70) (23) कणगे 1 कंचणगे 2 तवण 3 दिसासोवत्थिए 4 अरिटे 5 य। चंदण 6 अंजणमूले 7 वइरे 8 पुणअट्ठमे भणिए॥ नाणारयणविचित्ता उज्जोवंता हुयासणसिहाव। एए अट्ठविकूडा हवंतिपुव्वेण रुयगस्स॥ (द्वीपसागर प्रज्ञप्ति, गाथा 119-120) (24) फलिहे 1 रयणे 2 भवणे 3 पउमे 4 नलिणे 5 ससी 6 य नायव्वे। वेसमणे 7 वेरुलिए 8 रुयगस्स हवंति दक्खिणओ॥ नाणारयणविचित्ताअणोवमाधंतरूवसंकाया। एए अट्ठ विकूडारुयगस्स हवंति दक्खिणओ॥ (द्वीपसागर प्रज्ञप्ति, गाथा 121-122)
SR No.006192
Book TitlePrakrit Ke Prakirnak Sahitya Ki Bhumikaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2016
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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