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(20) जो अवरदक्खिणेरइकरोउतस्सेव चउदिसिंहोति।
सक्कऽग्गमहिस्सीणंएयाखलु रायहाणीओ॥ भूया 1 भूयवडिंसा 2, एया पुव्वेण दक्खिणेणभवे। अवरेण उत्तरेण यमणोरमा 3 अग्गिमालीया 4॥
___ (द्वीपसागर प्रज्ञप्ति, गाथा 65-66) (21) अवरुत्तररइकरगे चउद्दिसिंहोंति तस्स एयाओ।
ईसाणअग्गमहिसीणताओखलु रायहाणीओ॥ सोमणसा 1 यसुसीमा 2, एयापुव्वेण दक्खिणेणभवे। अवरेण उत्तरेण यसुदंसणा 3 चेवऽमोहा 4 य॥
(द्वीपसागर प्रज्ञप्ति, गाथा 67-68) (22) पुव्वुत्तररइकरगे तस्सेवचउद्दिसिंभवे एया।
ईसाणऽग्गमहिसीणसालपरिवेढियतणओ॥ रयणप्पहा 1 यरयणा 2, (एया) पुव्वेण दक्खिणेणभवे। सव्वरयणा 3 रयणसंचया 4 यअवरुत्तरे पासे॥
(द्वीपसागर प्रज्ञप्ति, गाथा 69-70) (23) कणगे 1 कंचणगे 2 तवण 3 दिसासोवत्थिए 4 अरिटे 5 य।
चंदण 6 अंजणमूले 7 वइरे 8 पुणअट्ठमे भणिए॥ नाणारयणविचित्ता उज्जोवंता हुयासणसिहाव। एए अट्ठविकूडा हवंतिपुव्वेण रुयगस्स॥
(द्वीपसागर प्रज्ञप्ति, गाथा 119-120) (24) फलिहे 1 रयणे 2 भवणे 3 पउमे 4 नलिणे 5 ससी 6 य नायव्वे।
वेसमणे 7 वेरुलिए 8 रुयगस्स हवंति दक्खिणओ॥ नाणारयणविचित्ताअणोवमाधंतरूवसंकाया। एए अट्ठ विकूडारुयगस्स हवंति दक्खिणओ॥
(द्वीपसागर प्रज्ञप्ति, गाथा 121-122)