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________________ 115 (1) एस करेमि पणामं जिणवरवसहस्स वड्ढमाणस्स। - सेसाणंचजिणाणं सगणगणधराणंचसव्वेसिं॥ (मूलाचार, गाथा 108) (2) (i) सव्वदुक्खप्पहीणाणं सिद्धाणंअरहओ नमो। सदहे जिणपन्नत्तं पच्चक्खामियपावगं॥ (आतुरप्रत्याख्यान, गाथा 17) (ii) सव्वदुक्खप्पहीणाणं सिद्धाणं अरहओ नमो। सद्दहे जिणपन्नत्तं पच्चक्खामियपावगं॥ (मूलाचार, गाथा 37) (3) (i) जंकिंचि मेंदुच्चरित्तं सव्वं तिविहेण वोसरे। सामाइयं तु तिविहं करेमिसव्वं णिरायारं॥ (नियमसार, गाथा 103) (ii) जंकिंचि से दुच्चरियंसव्वं तिविहेण वोसरे। समाइयंचतिविहं करेमि सव्वं णिरायारं॥ __(मूलाचार, गाथा 39) बज्झन्भंतरमुवहिं सरीराइंचसभोयणं। मणसावचिकायेण सव्वं तिविहेणवोसरे॥ (मूलाचार, गाथा 40) (5) (i) रागंबंधंपओसंचहरिसंदीणभावयं। उस्सुगत्तं भयं सोगंरइंअरइंचवोसिरे॥ (आतुरप्रत्याख्यान, गाथा 23) (ii) रायबंधं पदोसंचहरिसंदीणभावयं। उस्सुगत्तं भयं सोगरदिमरदिंचवोसरे॥ (मूलाचार, गाथा 44) (6) () रागेण वदोसेण वजं मे अकयन्नुयापमाएणं। जो मे किंचि विभणिओ तमहं तिविहेणखामेमि॥ (आतुरप्रत्याख्यान, गाथा 35) (ii) रागेण वदोसेण वजं मे अकदण्हुयं पमादेण। जो मे किंचिविभणिओ तमहंसव्वंखमावेमि॥ (मूलाचार, गाथा 58) 1. छटीगाथा में शब्द रूप में समानता नहीं होते हुए भीभावगत समानता है।
SR No.006192
Book TitlePrakrit Ke Prakirnak Sahitya Ki Bhumikaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2016
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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