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________________ कषाय लेश्या 2. गति 1. गति इन्द्रिय 2. इन्द्रिय 4. काय 3. काय 5. योग 4. योग 6. वेद 5. वेद 6. कषाय 10 लेश्या 9. सम्यक्त्व 12. सम्यक्त्व 10. ज्ञान 7. ज्ञान 11. दर्शन 9. दर्शन 12. संयत 8. संयम 13. उपयोग 14. आहार 14. आहारक 15. भाषक 16. परित्त 17. पर्याप्त 18. सूक्ष्म 19. संज्ञी 13. संज्ञी 20. भव 11. भव्य 21. अस्तिकाय 22. चरिम 23. जीव 24. क्षेत्र 25. बंध 26. पुद्गल इस तुलनात्मक अध्ययन से हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि षट्खण्डागम भी उमास्वाति और प्रज्ञापना के कर्ता श्यामाचार्य के बाद का ग्रंथ है। इसका काल ईसा की पाँचवीं या छठवीं शती से पूर्व नहीं जाता है। यद्यपि इसमें दिगम्बर मान्य सात नयों के
SR No.006191
Book TitleJain Sahityakash Ke Aalokit Nakshatra Prachin Jainacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2016
Total Pages228
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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