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________________ 162 उमास्वाति नेभी इसी नाम की एक कृति संस्कृत भाषा में निबद्ध की थी। यद्यपि अनेक ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है, परंतु इसकी आज तक कोई प्रति उपलब्ध नहीं हुई है। नाम साम्य के कारण अनेक बार हरिभद्रकृत इस प्राकृत कृति (सावयपण्णत्ति) कोतत्त्वार्थसूत्र के रचयिता उमास्वाति की रचना मान लिया जाता है, किंतु यह एक भ्रांति ही है। पंचाशक की अभयदेवसूरि कृत वृत्ति में और लावण्यसूरि कृत द्रव्य सप्तति में इसेहरिभद्र की कृति माना गया है। इस कृति में सावग (श्रावक) शब्द का अर्थ, सम्यक्त्व का स्वरूप नवतत्त्व, अष्टकर्म, श्रावक के 12 व्रत और श्रावक समाचारी का विवेचन उपलब्ध होता है। - इस पर स्वयं आचार्य हरिभद्र की दिग्प्रदा नाम की स्वोपज्ञ संस्कृत टीका भी है। इसमें अहिंसाणुव्रत और सामायिकव्रत की चर्चा करतेहुए आचार्य नेअनेक महत्त्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर दिया है। टीका में जीव की नित्यानित्यता आदि दार्शनिक विषयों कीभीगम्भीर चर्चा उपलब्ध होती है। जैन आचार सम्बंधी ग्रंथों में पंचवस्तुक तथा श्रावकप्रज्ञप्ति के अतिरिक्त अष्टकप्रकरण, षोडशकप्रकरण, विंशिकाएं और पंचाशक-प्रकरण भी आचार्य हरिभद्र की महत्त्वपूर्ण रचनाएं हैं। अष्टकप्रकरण इसग्रंथ में 8-8 श्लोकों में रचित निम्नलिखित 32 प्रकरण हैं (1) महादेवाष्टक, (2) स्नानाष्टक, (3) पूजाष्टक, (4) अग्निकारिकाष्टक, (5) त्रिविधभिक्षाष्टक, (6) सर्वसम्पत्करिभक्षाष्टक, (7) प्रच्छन्नभोजाष्टक, (8) प्रत्याख्यानाष्टक, (9) ज्ञानाष्टक, (10) वैराग्याष्टक, (11) तपाष्टक, (12) वादाष्टक, (13) धर्मवादाष्टक, (14) एकान्तनित्यवादखण्डनाष्टक, (15) एकान्तक्षणिकवाद-खण्डनाष्टक, (16) नित्यानित्यवादपक्षमंडनाष्टक, (17) मांसभक्षण-दूषणाष्टक, (18) मांसभक्षणमतदूषणाष्टक, (19) मद्यपानदूषणाष्टक, (20) मैथुनदूषाणाष्टक , (21) सूक्ष्मबुद्धिपरिक्षणाष्टक, (22) भावशुद्धिविचाराष्टक, (23) जिनमतमालिन्य निषेधाष्टक, (24) पुण्यानुबन्धिपुण्याष्टक, (25) पुण्यानुबन्धिपुण्यफ्लाष्टक, (26) तिर्थकृतदानाष्टके, (27) दानशंकापरिहाराष्टक, (28) राज्यादिदानदोषपरिहाराष्टक, (29) सामायिकाष्टक, (30) केवलज्ञनाष्टक, (31) तीर्थंकरदेशनाष्टक, (32)
SR No.006191
Book TitleJain Sahityakash Ke Aalokit Nakshatra Prachin Jainacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2016
Total Pages228
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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