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10. मापनीय संघ के मुनियों में कीर्त्तिनामान्त अधिकतासे है, जैसे- पाल्यकीर्ति,
रविकीर्त्ति, विजयकीर्ति, धर्मकीर्ति आदि । नन्दि, गुप्त, चन्द्र, नामान्त भी काफी हैं,
जैसे-जिननन्दि, मित्रनन्दि, सर्वगुप्त, नागचन्द्र, नेमिचन्द्र. 11. देखोआगे के पृष्ठों में आराधना और उसकी टीकाएं'. 12. अनन्तकीर्त्ति-ग्रंथमाला में प्रकाशित भगवती आराधना वचनिका' के अंत में
उन गाथाओं की एक सूची दी है, जो मूलाचार और आराधना में एक-सी हैं
और पं. सुखलालजी द्वारा सम्पादित ‘पंच प्रतिक्रमण सूत्र' में मूलाचार की
सूची दी है, जोभद्रबाहुकृत 'आवश्यकनियुक्ति' में भी है। 13. देखो -आवश्यक नियुक्ति, गाथा 867-70. 14. चत्तारिजणाभत्तं उवकप्पंति अगिलाएपाओग्गं।
छडियमवगददोसंअमाइणो लद्धिसंपण्णा।।662॥ चत्तारिजणा पाणयमुवकप्पंति अगिलाएपाओगं।
छंडियमवगददोसं अमाइणो लद्धिसंपण्णा॥663।। 15. सेजगासणिसेज्जा उवहीपडिलेहणा उवग्गहिदे।
आहारोसयवायणविकिंचणुव्वत्तणादीसु॥305॥ 16. देखो, 'आराधना और उसकी टीकायें'. 17. भगवती आराधनावचनिका की भूमिका, पृ. 12-13. 18. ओमोदरिए धोराए भद्दबाहू असंकिलिट्ठमदी।
धोराए तिगिंछाएपडिवण्णो उत्तमं ठाणं॥1544॥ 19. चोद्दस-दस-णव-पुव्वी मतामदीसायरोव्वगंभीरो।
कप्पवहारधारी होदिहुआधारवंणाम। 20. आयारजींदकप्पगुणदीवणाअत्तसोधिनिझंझा।
अज्जव-मद्दव-लाघव-तुट्ठी पल्हादणंचगुणा॥ यहीगाथाथोड़ेसे पाठान्तर केसाथ 130वें नम्बरपरभीहै। उसमें तुट्ठी पल्हादणं चगुणा' की जगह भत्ती पल्हादकरणंच' पाठ है।