SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 113
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ___107 10. मापनीय संघ के मुनियों में कीर्त्तिनामान्त अधिकतासे है, जैसे- पाल्यकीर्ति, रविकीर्त्ति, विजयकीर्ति, धर्मकीर्ति आदि । नन्दि, गुप्त, चन्द्र, नामान्त भी काफी हैं, जैसे-जिननन्दि, मित्रनन्दि, सर्वगुप्त, नागचन्द्र, नेमिचन्द्र. 11. देखोआगे के पृष्ठों में आराधना और उसकी टीकाएं'. 12. अनन्तकीर्त्ति-ग्रंथमाला में प्रकाशित भगवती आराधना वचनिका' के अंत में उन गाथाओं की एक सूची दी है, जो मूलाचार और आराधना में एक-सी हैं और पं. सुखलालजी द्वारा सम्पादित ‘पंच प्रतिक्रमण सूत्र' में मूलाचार की सूची दी है, जोभद्रबाहुकृत 'आवश्यकनियुक्ति' में भी है। 13. देखो -आवश्यक नियुक्ति, गाथा 867-70. 14. चत्तारिजणाभत्तं उवकप्पंति अगिलाएपाओग्गं। छडियमवगददोसंअमाइणो लद्धिसंपण्णा।।662॥ चत्तारिजणा पाणयमुवकप्पंति अगिलाएपाओगं। छंडियमवगददोसं अमाइणो लद्धिसंपण्णा॥663।। 15. सेजगासणिसेज्जा उवहीपडिलेहणा उवग्गहिदे। आहारोसयवायणविकिंचणुव्वत्तणादीसु॥305॥ 16. देखो, 'आराधना और उसकी टीकायें'. 17. भगवती आराधनावचनिका की भूमिका, पृ. 12-13. 18. ओमोदरिए धोराए भद्दबाहू असंकिलिट्ठमदी। धोराए तिगिंछाएपडिवण्णो उत्तमं ठाणं॥1544॥ 19. चोद्दस-दस-णव-पुव्वी मतामदीसायरोव्वगंभीरो। कप्पवहारधारी होदिहुआधारवंणाम। 20. आयारजींदकप्पगुणदीवणाअत्तसोधिनिझंझा। अज्जव-मद्दव-लाघव-तुट्ठी पल्हादणंचगुणा॥ यहीगाथाथोड़ेसे पाठान्तर केसाथ 130वें नम्बरपरभीहै। उसमें तुट्ठी पल्हादणं चगुणा' की जगह भत्ती पल्हादकरणंच' पाठ है।
SR No.006191
Book TitleJain Sahityakash Ke Aalokit Nakshatra Prachin Jainacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2016
Total Pages228
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy