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4. बहिर्दादान विरमण (परिग्रह त्याग )
जैन आगम स्थानांग, समवायांग आदि में चार्तुयाम संवर का उल्लेख इसी रूप में मिलता है।
दीघनिकाय के इस अंश का जो अर्थ राहुलजी ने किया है वह भी त्रुटिपूर्ण है। प्रथमतः यहां वारि शब्द का अर्थ जल न होकर वारण करने योग्य अर्थात् पाप है। सूत्रकृतांग में वीरस्तुति में महावीर को 'वारिय सव्ववारं ' ( सूत्रकृतांग, 1/6/28) कहा गया है। यहां 'वार' शब्द 'पाप' के अर्थ में ही है, जल के अर्थ में नहीं है। पुनः जैन मुनि मात्र सचित्तजल (जीवनयुत्त जल ) के उपयोग का त्याग करता है, सर्वजल का नहीं। अतः सुमंगलविलासिनी अट्टकथाकार एवं राहुलजी द्वारा यहां वारि या जल अर्थ करना अयुक्तिसंगत है। क्योंकि एक वाक्यांश में 'वारि' का अर्थ जल करना और दूसरे में उसी 'वारि' शब्द का अर्थ 'पाप' करना समीचीन नहीं है। चूंकि निर्ग्रथ सचित्त (जीवन - युक्त) जल के त्यागी होते थे, स्नान नहीं करते वस्त्र नहीं धाते थे। अतः इन्हीं बातों को आधार मानकर यहां ‘सव्ववारिवारितो' का अर्थ जल का त्याग करते हैं, यह मान लिया गया, किंतु स्वयं सुमंगल विलासिनी टीका या अट्टकथा में भी स्पष्ट उल्लेख हैं कि निर्ग्रथ मात्र सचित्त जल का त्यागी होता है, सर्वजल का नहीं, अतः वारि का अर्थ जल करना उचित नहीं है। दीघनिकाय की अट्टकथा में 'वारि' का जो भ्रांत अर्थ जल किया गया था, राहुलजी का यह अनुवाद भी उसी पर आधारित है । अतः इस भ्रांत अर्थ करने के लिए राहुलजी उतने दोषी नहीं है, जितने सुमंगलविलासिनी के कर्त्ता । सम्भवतः निर्गंथों ने जलीय जीवों की हिंसा से बचने के लिए जल के उपयोग पर जो प्रतिबंध लगाए गए थे, उसी से अर्थ और टीका में यह भ्रांति हुई है। आगे इसी क्रम में उन्होंने स्वयं 'वारि' का अर्थ 'पाप' करके सब्बवारियुत्तो का अर्थ वह सब पापों का वारण करता है, किया है। किंतु यह अर्थ मूपाठ के अनुरूप नहीं है, क्योंकि यहां वारि का अर्थ पाप करके भी युत्तो का अर्थ वारण करना -- किया गया है, वह समुचित नहीं है, क्योंकि पालीकोशों के अनुसार युत्तो शब्द का अर्थ किसी भी स्थिति में 'वारण' नहीं हो सकता है। कोश के अनुसार तो इसका अर्थ लिप्त होता है, अतः इस वाक्यांश का अर्थ होगा-- वह सर्व पापों से युक्त या लिप्त होता है-- जो निश्चय ही इस प्रसंग में गलत है । मेरी दृष्टि में यहां मूलपाठ में भ्रान्ति है -- सम्भवतः मूलपाठ 'युत्तो' न होकर 'यतो' होना चाहिए। क्योंकि मूलपाठ 'आगे निर्ग्रथ के लिए 'यतो' विशेषण का प्रयोग हुआ है, जो 'यतो' पाठ की
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