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प्रमाण कैसे माना जा सकता है ?
7.
बौद्धदर्शन निर्विकल्पक ज्ञान को अभ्रान्त कहकर उसे प्रमाण के रूप में स्वीकार करता है, जबकि जैनदर्शन निर्विकल्पक ज्ञान को, जिसे वे अपनी पारिभाषिक शैली में 'दर्शन' कहते हैं क्योंकि वह मात्र अनुभूत है, निर्णीत नहीं। जैन दर्शन के अनुसार प्रमाण व्यवसायात्मक होने से सविकल्पक ही होता है निर्विकल्पक दर्शन अर्थात् बौद्धों का निर्विकल्पक प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं हो सकता है।
8.
प्रमाण की परिभाषा को लेकर भी दोनों में कथंचित् मतभेद देखा जाता है। बौद्ध दर्शन में प्रमाण को स्व का प्रकाशक माना गया है, पर का प्रकाशक नहीं। क्योंकि उनके यहां योगाचार दर्शन में अर्थ अर्थात् प्रमाण का विषय ( प्रमेय) भी वस्तुरूप न होकर ज्ञान रूप ही है। जबकि जैन दर्शन में प्रमाण को स्व पर अर्थात् अपना और अपने अर्थ का प्रकाशक माना गया है। (स्वपरव्यवसायात्मकं ज्ञानं प्रमाणम्) जैनों के अनुसार प्रमाण स्वयं अपने को और अपने विषय को दोनों को ही जानता है। जैन और बौद्ध दोनों ही दर्शन 'प्रत्यक्ष' को कल्पनाजन्य तो नहीं मानते हैं, किंतु कल्पना रहित होने का तात्पर्य है वस्तुसत् अर्थात् वस्तुगतसत्ता (Objective Reality) होना है, जबकि बौद्ध दर्शन में कल्पना रहित होने का अर्थ अनुभूत सत् या आत्मगतसत्ता (Subjective Re - (ality) है।
बौद्ध दार्शनिक अनुमान के दो भेद करते हैं, स्वार्थ और परार्थ जैन दार्शनिक भी अनुमान के इन दोनों भेदों को स्वीकार करते हैं, किंतु जैनदार्शनिक सिद्धसेन न्यायावतार में प्रत्यक्ष के भी स्वार्थ और परार्थ ऐसे दो भेद करते हैं। सिद्धसेन दिवाकर के अतिरिक्त कुछ अन्य जैन आचार्यों जैसे शांतिसूरि एवं वादिदेवसूरि ने भी इन भेदों का उल्लेख किया
है|
10.
प्रत्यक्षप्रमाण के स्वरूप एवं भेदों को लेकर भी दोनों में मतभेद देखा जा सकता है। प्रथम तो जैसा कि पूर्व में उल्लेख किया गया है जहां बौद्ध दार्शनिक प्रत्यक्ष को कल्पना से रहित और निर्विकल्पक मानते हैं वहां जैन दार्शनिक उसे सविकल्पक कहते हैं। पुनः बौद्ध दार्शनिक प्रत्यक्ष के जैनों के समान सांव्यवहारिक और पारमार्थिक ऐसे दो भेद नहीं करते हैं। उनके यहां प्रत्यक्ष के चार भेद हैं- 1. स्वसंवेदना प्रत्यक्ष, 2. इन्द्रिय प्रत्यक्ष, 3. मानस प्रत्यक्ष और 4. योगज प्रत्यक्ष प्रथम तो जहां जैन इंद्रिय प्रत्यक्ष और मानस प्रत्यक्ष को सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष कहते हैं, वहां बौद्ध प्रत्यक्ष में ऐसा कोई विभाजन नहीं
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