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3. मथुरा, प्राकृत, महाक्षत्रप शोडाशके, 81 वर्ष का, पृ.12, क्रमांक 5, 'नम अहरतो
वधमानस'. मथुरा, प्राकृत, काल निर्देश नहीं दिया है; किन्तु जे.एफ.फ्लीट के अनुसार लगभग 13-14 ई.पू. पूर्व प्रथम शती का होना चाहिए, पृ.15, क्र.9, 'नमोअरहतो
वधमानस्य'. 5. मथुरा, प्राकृत, सम्भवतः 13-14 ई.पू. प्रथम शती, पृ.15, लेख क्रमांक 10
(न)मो अरहतपूजा (ये). 6. मथुरा, प्राकृत, पृ.17, क्र.14, ‘मा अहरतानं (अरहंतान) श्रमण-श्राविका(य)'. 7. मथुरा, प्राकृत, पृ.17, क्र.15, 'नमो अरहंतानं'. 8. मथुरा, प्राकृत, पृ.18, क्रमांक 16, 'नमो अरहतो महाविरस'. 9. मथुरा, प्राकृत, हुविष्क संवत् 39-हस्तिस्तम्भ, पृ-34, क्रमांक 43, ‘अर्थेन
रुद्रदासेन' अरहंतनं पुजाये. 10. मथुरा, प्राकृत, भग्न, वर्ष 93, पृ.46, क्रमांक 67, 'नमो अर्हतो महाविरस्य'. 11. मथुरा, प्राकृत, वासुदेव, सं.98, पृ.47, क्रमांक 60, 'नमो अरहतो महावीरस्य'. 12. मथुरा, प्राकृत, पृ.48 9, (बिना काल निर्देश), क्रमांक 71, 'नमो अरहंतानं
सिहकस'. 13. मथुरा, प्राकृत, भग्न (बिना काल निर्देश), पृ.48, क्रमांक 72, 'नमो अरहताना'. 14. मथुरा, प्राकृत, भग्न (बिना काल निर्देश), पृ.48, क्रमांक 73, 'नमो अरहंतान'. 15. मथुरा, प्राकृत, भग्न (बिना काल निर्देश), पृ.49, क्रमांक 75, 'अरहंतान
वधमानस्य'. 16. मथुरा, प्राकृत, भग्न, पृ.51, क्रमांक 80, 'नमो अरहंताण...'.
शूरसेन प्रदेश, जहाँ से शौरसेनी प्राकृत का जन्म हुआ, वहाँ के शिलालेखों में दूसरी-तीसरी शती तक 'न'कार के स्थान पर 'ण'कार एवं मध्यवर्ती असंयुक्त 'त्' के स्थान पर 'द्' के प्रयोग का अभाव यही सिद्ध करता है कि दिगम्बर आगमों एवं नाटकों की शौरसेनी का जन्म ईसा की दूसरी शती के पूर्व का नहीं है, जबकि 'न'कार प्रधान